हेलमेट नहीं लगाने वालों के विरुद्ध प्रदेश में 6 अक्टूबर से शुरू होगी सख्त कार्रवाई
भारत में कोरोना काल में कोविड से जितने लोगों ने अपनी जान गँवाई(5.29 लाख)है उससे कहीं अधिक लोग 2020(3,74,397) और 2021(4,21,104) में सड़क दुर्घटनाओं में अपनी ज़िन्दगी खो चुके हैं। इसके बावजूद लोग सड़क परिवहन के दौरान अपनी सुरक्षा को लेकर लापरवाही बरतते हुए देखे जा सकते हैं। वाहन चालक खुलकर यातायात नियमों की धज्जियाँ उड़ाते हैं। दुपहिया वाहन चालक हेलमेट नहीं पहनते हैं और चौपहिया वाहन चालक सीट बेल्ट। हालाँकि नियमों को ताक पर रखने वालों के खिलाफ़ पुलिस विभाग समय-समय पर चालानी कार्यवाही भी करता है।
आमतौर पर दुपहिया वाहन चालक को हेलमेट नहीं लगाने पर जुर्माना भरना पड़ता है लेकिन अब से चालक के पीछे बैठने वाली सवारी को भी हेलमेट नहीं लगाने पर जुर्माना देना होगा। इसके अलावा हेलमेट की स्ट्रिप लॉक करना भी ज़रूरी होगा।इसके लिए क़ानून तो पहले से था लेकिन इसका सख़्ती से पालन करवाने के लिए हाई कोर्ट की ओर से पुलिस को निर्देश जारी किये गये हैं। ये निर्देश हाई कोर्ट ने जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान जारी किये हैं। जिसे लेकर पुलिस का रवैया भी बेहद कड़ा दिखाई दे रहा है। पुलिस मुख्यालय भोपाल ने मध्यप्रदेश के समस्त पुलिस अधीक्षकों को एक पत्र लिखकर निर्देशों का कड़ाई से पालन करवाने की हिदायत दी है।
कर्मचारियों, अध्यापकों और छात्रों को न दें प्रवेश – इस पत्र के मुताबिक जो निजी या शासकीय/ अर्द्ध शासकीय कर्मचारी हेलमेट न लगायें उन्हें कार्यालयों में प्रवेश न दिया जाए। इसके अलावा शिक्षण संस्थानों में जो अध्यापक, छात्रगण, कर्मचारी और अभिभावक वाहन लेकर आते हैं और हेलमेट नहीं लगाते हैं तो उन्हें शिक्षण संस्थान में प्रवेश ना दिया जाए। साथ ही हेलमेट न लगाने वाले वाहन चालकों को पेट्रोल नहीं दिए जाने और हेलमेट का उपयोग न करने वालों को पार्किंग में जगह नहीं देने की बात भी कही गई है।
जगह-जगह बैनर-पोस्टर से बढ़ायें जागरूकता – पेट्रोल पम्प, ऑटोमोबाइल शॉप, शोरूम इत्यादि जगहों पर बैनर-पोस्टर लगाकर लोगों को इस ओर जागरूक करने के लिए प्रचार-प्रसार पर भी ज़ोर दिया गया है। साथ ही इस पत्र में सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से विज्ञापन के ज़रिये वाहन चालकों और उसकी सवारी कों हेलमेट पहनने के लिए बाध्य करने को कहा गया है।
मध्यप्रदेश के कई ज़िलों में सड़कों और ट्रैफिक सिग्नल्स के हालात ख़राब हैं। कई जगह तो सड़कों की जगह सिर्फ़ बड़े-बड़े गड्ढे हैं। जहाँ वाहन अनियंत्रित होने की वजह से आये दिन दुर्घटनायें होती हैं। यहाँ तक कि सीवर लाइन के नाम पर होने वाले कार्यों के दौरान प्रशासन की लापरवाही के चलते लोग इन खुले गड्ढों में गिरकर गंभीर रूप से घायल भी हो जाते हैं। यहीं नहीं, तिराहों और चौराहों में लगे ट्रैफिक सिग्नल्स भी आये दिन तकनीकी ख़ामियों के चलते बंद पड़ जाते हैं। ऐसे में हेलमेट ही एक ऐसा रास्ता है जो लोगों को इन दुर्घटनाओं में घायल होने से कुछ हद तक बचा सकता है बशर्ते लोग इसे चालान से बचने की मजबूरी के बजाए अपनी सुरक्षा के लिए मन से और अनिवार्य रूप से अपनाएं।