कल बुधवार को कुंडम नगर में कुंडम, बघराजी और आसपास क्षेत्र के जैन समाज के बच्चों सहित महिलाओं और वरिष्ठजनों द्वारा एकत्रित होकर रैली निकाली गई। यह रैली 20 जैन तीर्थंकरों की मोक्ष स्थल श्री सम्मेद शिखर जी पारसनाथ पर्वत राज गिरिडिह झारखंड की स्वतंत्र पहचान और पवित्रता के संरक्षण हेतु निकाली गई। इस दौरान जैन समाज ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय पर्यावरण, वन, जलवायु परिवर्तन मंत्री और झारखंड के मुख्यमंत्री के नाम तहसीलदार कुंडम प्रदीप कौरव और नायब तहसीलदार नेहा जैन को ज्ञापन सौंपा। जिसमें उन्होंने मांग की कि श्री सम्मेद शिखर जी ‘पारसनाथ पर्वतराज’ को वन्य जीव अभयारण्य, पर्यावरण पर्यटन के लिए इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत जोनल मास्टर प्लान व पर्यटन मास्टर प्लान, पर्यटन स्थल, धार्मिक पर्यटन सूची से बाहर किया जाएँ। और ‘पारसनाथ पर्वतराज’ और मधुबन को बिना जैन समाज की सहमति के इको सेंसिटिव जोन के अंतर्गत घोषित कर पारसनाथ पर्वत को वन्य जीव अभ्यारण्य का एक भाग लिखकर प्राचीन जैन तीर्थ की स्वतंत्र पहचान और पवित्रता नष्ट करने वाली झारखण्ड सरकार की अनुशंसा पर केन्द्रीय वन मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना क्र. 2795 (ई) दिनांक 2 अगस्त्त 2019 से बाहर किया जाए। साथ ही श्री सम्मेद शिखर जी ‘पारसनाथ पर्वतराज’ और मधुबन को माँस-मदिरा बिक्री मुक्त पवित्र “जैन तीर्थस्थल” घोषित किया जाए। इसके अलावा ‘पारसनाथ पर्वतराज’ वन्दना मार्ग को अतिक्रमण व अभक्ष्य सामग्री बिक्री मुक्त कर यात्री पंजीकरण, यात्री सामान जांच के लिए स्कैनर सहित पर्वत के आरम्भ में और शीतल नाला पर चेक पोस्ट और पर्वत पर सोलर लाइट्स और शुद्ध जल व्यवस्था जैसी सुविधाएँ उपलब्ध करायी जाएँ।
विदित हो कि जैन समुदाय अपने तीर्थ स्थल को पर्यटन स्थल बनाने से नाराज़ है, जिसके विरोध में पूरे देश में जैन समुदाय द्वारा रैली एवं जन सभाओं का आयोजन किया गया। जिसे व्यापरी संगठनों का भरपूर समर्थन मिला।