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गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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सी ए राजेश जैन ने श्री शांतिनाथ भगवान का अभिषेक और रक्षाबंधन विधान सम्पन्न किया

आज सी ए राजेश जैन ने श्री पारसनाथ दिगम्बर जैन मंदिर अग्रवाल कालोनी में 1008 श्री शांतिनाथ भगवान् का अभिषेक और पूजन किया। जहां लगभग एक घंटे चले धार्मिक अनुष्ठान में उनकी पत्नी अनुराधा जैन भी अनेक श्रद्धालुओं के साथ शामिल हुईं। इसके पश्चात उन्होंने आर्यिका 105 ऋजुमति माता जी ससंघ के सान्निध्य में 700 मुनियों की रक्षा हेतु रक्षा बंधन विधान भी सम्पन्न किया।
इस विधान से जुड़ी एक कथा है जिसके अनुसार अनुसार अनन्य जैन भक्त राजा पद्मराय के राज्य हस्तिनापुर में अकंपनाचार्य मुनि ससंघ पधारे। उनका मंत्री बलि उन मुनियों से पहले से ही ईर्ष्या करता था। उसने पूर्वनियोजित ढंग से स्वयं को सात दिन के लिए राजा बना लिया। उसने आचार्य सहित 700 मुनियों के संघ पर उपसर्ग करना प्रारंभ किया, जिस स्थल पर मुनि संघ ठहरा था वहां चारों ओर कांटेदार बागड़ बंधवा कर उसे नरमेध यज्ञ का नाम दे वहां जानवरों के रोम, हड्डी, मांस, चमड़ा आदि होम में डालकर यज्ञ किया। इससे मुनियों को फैली दुर्गंध और दूषित वायु से परेशानी होने लगी। उन्होंने अन्न-जल त्याग कर समाधि ग्रहण की। मुनियों के गले रुंधने लगे, आंखों में पानी आने लगा और उनके लिए सांस लेना भी मुश्किल हो गया। उनकी इस विपत्ति को देख नगरवासियों ने भी अन्न-जल त्याग दिया।


तब सागरचंद्र नामक आचार्य की आज्ञा पाकर क्षुल्लक पुष्पदंत गुरु पर्वत पर पहुंचे और धरणीभूषण पर्वत पर विष्णुकुमार मुनि से मुनियों की रक्षा का अनुरोध किया। विष्णुकुमार मुनि ने हस्तिनापुर 52 अंगुल का शरीर बना ब्राह्मण का वेश धारण कर बलि से तीन पग जमीन मांगी और पूरी दुनिया को नापते हुए तीसरा पग मुनि ने बलि की पीठ पर रखा। बलि को कष्ट हुआ तो उसने उनसे प्रार्थना की तो उनके असली रूप देखकर बलि ने यज्ञ बंद कर मुनियों का उपसर्ग से दूर किया।


नगरवासी सभी श्रावकों ने मुनियों की वैयावृत्ति की उनकी सेवा की और मुनियों को चैतन्य अवस्था में लाए। मुनि पूर्णतः स्वस्थ हो आहार पर निकले तो श्रावकों ने खीर, सिवैया आदि मिष्ठान्न आहार हेतु बनाए थे। मुनियों को आहार करा श्रावकों ने भी खाना खाया और खुशियां मनाई। यह दिन श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। इसी दिन मुनियों की रक्षा हुई थी। इस दिन को याद रखने के लिए लोगों ने हाथ में सूत के डोरे बांधे। तभी से यह रक्षाबंधन के पर्व के रूप में माना जाने लगा। इसके बाद विष्णुकुमार मुनि ने गुरु के पास जाकर अपने दोषों को बताया और महान तप किया। आज भी जैनियों के घरों में इस दिन खीर बनाई जाती है और विष्णुकुमार मुनि की पूजा तथा कथा के बाद रक्षाबंधन का पर्व मनाया जाता है।
रक्षा बंधन विधान में सी ए राजेश जैन समेत मयंक जैन, मुकेश जैन, अशोक जैन(मुन्नू),राजेंद्र नंदा एवं समाज के अन्य श्रद्धालुजन उपस्थित रहे।

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