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विदेशी नस्ल के श्वान की वजह से नहीं हो सका न्यायालय के आदेश का पालन!

शनिवार को जबलपुर में एक अवैध कब्ज़े को छुड़ाने के उद्देश्य से न्यायालय के आदेश पर पहुँचे अमले को पिटबुल ने दिन भर आदेश का पालन करने से रोककर रखा। दरअसल चेरीताल सरस्वती गार्डन गृह निर्माण सोसाइटी, पारिजात बिल्डिंग के पीछे एक अवैध कब्ज़ाधारी से मकान के कब्ज़े को मुक्त करवाने के लिए न्यायलय के कर्मचारी समेत पुलिस, अधिवक्ता और आवेदकगण पहुँचे। लेकिन अवैध कब्ज़ाधारी पहले ही वहाँ से परिवार समेत गायब हो गया और अपने पीछे उस मकान में छोड़ गया एक विदेशी नस्ल का श्वान। न्यायालय के आदेश पर पहुँचे लोग श्वान को हटाने की युक्ति लगा ही रहे थे कि इस बीच एक स्थानीय नेता भी वहाँ पहुंचकर मौजूद शासकीय कर्मियों और अधिवक्ताओं से तर्क-वितर्क करने लगे। इस गहमागहमी में एक डॉग ट्रेनर को बुलाया गया जिसने व्यस्क पिटबुल श्वान को बेहद खतरनाक बताते हुए पकड़ने से इनकार कर दिया। पुलिस प्रशासन और कोर्ट से आये कर्मचारी सुबह से शाम तक कार्यवाही को अंजाम देने के लिए मशक्कत करते रहे लेकिन वे कोर्ट के आदेश के बावजूद भी कब्ज़ा दिलाने में असमर्थ रहे और पंचनामा बनाकर वापिस लौट गए।

शनिवार को दिन भर चले इस घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, कि जिस प्रजाति के श्वान पर 41 देशों में प्रतिबंध लगा है और कई घटनाओं में जिसने मालिक तक को मौत के घाट उतार दिया, उसे पालने का लाइसेंस अवैध कब्ज़ाधारी को कैसे मिला, और अगर निगम ने लाइसेंस नही दिया है तो इस प्रजाति का श्वान जो आसपास के लोगों के लिए भी खतरा है, वो यहाँ तक पहुँचा कैसे?

इसके अलावा कार्यवाही करने पहुँचे दल को कथित स्थानीय नेता ने जो पुराना स्टे आर्डर दिखा कर भ्रमित करने की कोशिश की, उन पर “शासकीय कार्य मे बाधा” डालने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 186 के तहत कार्यवाही क्यूँ नहीं की गई जो कि अक्सर पत्रकारों पर थोप दी जाती है।

Chakreshhar Singh Surya
Chakreshhar Singh Suryahttps://www.prathmikmedia.com
चक्रेशहार सिंह सूर्या…! इतना लम्बा नाम!! अक्सर लोगों से ये प्रतिक्रया मिलती है। हालाँकि इन्टरनेट में ढूँढने पर भी ऐसे नाम का और कोई कॉम्बिनेशन नहीं मिलता। आर्ट्स से स्नातक करने के बाद पत्रकारिता से शुरुआत की उसके बाद 93.5 रेड एफ़एम में रेडियो जॉकी, 94.3 माय एफएम में कॉपीराइटर, टीवी और फिल्म्स में असिस्टेंट डायरेक्टर और डायलॉग राइटर के तौर पर काम किया। अब अलग-अलग माध्यमों के लिए फीचर फ़िल्म्स, ऑडियो-विज़ुअल एड, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म्स डायरेक्शन, स्टोरी, स्क्रिप्ट् राइटिंग, वॉईस ओवर का काम करते हैं। इन्हें लीक से हटकर काम और खबरें करना पसंद हैं। वर्तमान में प्राथमिक मीडिया साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र और न्यूज़ पोर्टल के संपादक हैं। इनकी फोटो बेशक पुरानी है लेकिन आज भी इतने ही खुशमिज़ाज।
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