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ठंडे बस्ते में धरी हुई है धरोहर योजना!

जनसुनवाई एक ऐसी प्रक्रिया है जो हर सप्ताह नागरिकों के लिए अलग अलग विभागों में आयोजित की जाती है। जिसमें उन्हें अधिकारियों के समक्ष अपनी समस्या रखने का अवसर मिलता है। हर सप्ताह की तरह मंगलवार को कलेक्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जनसुनवाई हुई। जहाँ लोगों ने अपनी शिकायतें और समस्याएँ अधिकारियों के समक्ष रखीं।

किसी को मिला सुझाव, किसी को समाधान तो किसी को आश्वासन। इन शिकायतकर्ताओं में आज कुछ वरिष्ठ नागरिक भी पहुँचे, जिन्होंने अधिकारियों के सामने अपनी समस्याएँ रखीं।

जिस उम्र में ये बुजुर्ग शिकायत लेकर इन विभागों की सीढ़ियाँ चढ़ रहे हैं, उस उम्र में उन्हें शायद घर पर रहकर ही स्वास्थ्य लाभ लेना चाहिए और बारिश के इस मौसम में बाहर निकलने का जोखिम नहीं लेना चाहिए। लेकिन समस्याओं का कोई मौसम नहीं होता है। शायद इसलिए बुजुर्गों को कलेक्टर और एसपी के पास आकर गुहार लगाना पड़ रहा है।

हालांकि राज्य सरकार चाहे तो वरिष्ठ नागरिकों को कलेक्ट्रेट और पुलिस विभाग समेत अन्य कई विभागों के चक्कर लगाने से बचा सकती है। कैसे? इसका जवाब छुपा है अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल के सेंटर फॉर अर्बन गवर्नेंस में।

धरोहर योजना – एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में 60 लाख के लगभग वरिष्ठ नागरिक है। जिन्हें ध्यान में रखकर अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल के सेंटर फॉर अर्बन गवर्नेंस ने वर्ष 2021 में एक योजना का प्रारूप तैयार किया। जिसे नाम दिया गया धरोहर योजना – वरिष्ठ नागरिक द्वार प्रदाय योजना। जो घोषणा और क्रियान्वयन के इंतज़ार में है।

यदि ये योजना लागू होती है तो वरिष्ठ नागरिकों को नगर निगम, पुलिस विभाग, राजस्व विभाग जैसे अन्य विभागों से जुड़ी कुछ सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए इन दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इन विभागों से जुड़ी सुविधाओं वरिष्ठ नागरिकों को घर बैठे प्राप्त होंगी।

क्या है इसका उद्देश्य – धरोहर योजना का मुख्य उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों के दैनिक जीवन यापन में आने वाली बुनियादी आवश्यकताओं, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल, सुविधाओं, सार्वजनिक सेवाओं और इनके अलावा उनकी अन्य आवश्यकताएं, सुरक्षा, खुशी व स्वास्थ्य आदि के लिए आवश्यक बेहतर सुविधा उनके निवास पर ही उपलब्ध करवाई जा सकें। और उनके जीवन को खुशहाल, सुरक्षित, स्वस्थ, सरल व सुगम बनाने में उनकी सहायता की जा सके।

क्यूँ पड़ी आवश्यकता – कोरोना का असर सभी के जनजीवन पर पड़ा लेकिन वरिष्ठ नागरिक इससे ज्यादा प्रभावित हुए। क्यूंकि अधिकतर वरिष्ठ नागरिक या तो अकेले रहते हैं या फिर सेहत संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं। ऐसे में भोजन और स्वास्थ्य जैसी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वो किसी न किसी पर निर्भर रहते हैं। वरिष्ठ नागरिकों को कोरोना जैसी महामारी के समय भोजन, घरेलू उपयोगिताओं और स्वास्थ्य व स्वच्छता जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा था। कई वरिष्ठ नागरिक किराने का सामान और अन्य आवश्यक वस्तुओं को ऑनलाइन आर्डर देने के लिए भी तकनीकी रूप से सक्षम नहीं थे और न ही बाहर से खरीददारी करने के लिए घर से बाहर निकलकर मार्केट तक जाने का जोखिम ले सकते थे। वरिष्ठ नागरिकों के लिए वैसे कई योजनाएँ लेकिन कोरोना की महामारी के दौरान उनके लिए एकीकृत योजना की आवश्यकता देखी गई। इन सभी और संभावित समस्याओं के मद्देनजर बुजुर्गों/वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और सहायता के लिए स्थायी समाधान निकालने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल के सेंटर फॉर अर्बन गवर्नेंस ने “धरोहर योजना – वरिष्ठ नागरिक द्वार प्रदाय योजना” का प्रारूप तैयार किया।

इन दस विभागों से संबंधित सुविधाएँ घर पर ही मिलेंगी – इस योजना के तहत लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, राजस्व विभाग, सामाजिक न्याय विभाग, विधि एवं विधायी कार्य विभाग, नगर निगम/नगर पालिका/नगर पंचायत परिवहन विभाग, गृह विभाग, सूचना प्रोद्योगिकी विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, कौशल विकास उन्नयन, आनन्द विभाग और बैकिंग तथा पोस्ट ऑफिस विभागों से जुड़ी सुविधाएँ घर बैठे ही मिलेंगी।

केंद्र सरकार की है एल्डर हेल्प लाइन – केंद्र सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के लिए एल्डर हेल्पलाईन 14567 का संचालन किया जा रहा है। ये ऑल इंडिया टोल फ्री नंबर है जो कि सप्ताह के सातों दिन सुबह 8 से रात 8 बजे के बीच कार्य करता है। ये बहुत हद तक धरोहर योजना जैसा काम करती है। लेकिन धरोहर योजना के मुकाबले इसमें काफी कमियाँ हैं।

क्यूँ नहीं की गई है अब तक लागू – इस योजना का प्रारूप तो तैयार है लेकिन इसकी सार्वजनिक घोषणा अभी बाकी है। हालांकि इस योजना के प्रारूप में इसे लागू करने के लिए किसी अतिरिक्त खर्चे का भी ज़िक्र नहीं किया गया है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि राज्य सरकार की उदासीनता के चलते ये योजना पिछले दो वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी अलग-अलग योजनाओं का संचालन किया जा रहा है जबकि धरोहर योजना उन योजनाओं का एकीकृत रूप है।

Chakreshhar Singh Surya
Chakreshhar Singh Suryahttps://www.prathmikmedia.com
चक्रेशहार सिंह सूर्या…! इतना लम्बा नाम!! अक्सर लोगों से ये प्रतिक्रया मिलती है। हालाँकि इन्टरनेट में ढूँढने पर भी ऐसे नाम का और कोई कॉम्बिनेशन नहीं मिलता। आर्ट्स से स्नातक करने के बाद पत्रकारिता से शुरुआत की उसके बाद 93.5 रेड एफ़एम में रेडियो जॉकी, 94.3 माय एफएम में कॉपीराइटर, टीवी और फिल्म्स में असिस्टेंट डायरेक्टर और डायलॉग राइटर के तौर पर काम किया। अब अलग-अलग माध्यमों के लिए फीचर फ़िल्म्स, ऑडियो-विज़ुअल एड, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म्स डायरेक्शन, स्टोरी, स्क्रिप्ट् राइटिंग, वॉईस ओवर का काम करते हैं। इन्हें लीक से हटकर काम और खबरें करना पसंद हैं। वर्तमान में प्राथमिक मीडिया साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र और न्यूज़ पोर्टल के संपादक हैं। इनकी फोटो बेशक पुरानी है लेकिन आज भी इतने ही खुशमिज़ाज।
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