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बीसों साल से चालीस फुट चौड़ी सड़क पर जमा अतिक्रमण सिस्टम को दे रहा है चकमा

ठीक 17 साल पहले न्यायालय ने नगर निगम को दे दिया था इसे हटाने का अधिकार

“सिस्टम” एक ऐसा शब्द जिसके अंतर्गत देश की पूरी व्यवस्था समाहित है। चाय की चर्चाओं से लेकर टीवी चैनल्स की डिबेट्स तक इस शब्द का इस्तेमाल व्यापक अर्थों में भी किया जाता है। इस सिस्टम का हिस्सा देश का हर आम और खास नागरिक है। इन्हीं नागरिकों में से कुछ इस सिस्टम की खामियों का फ़ायदा भी उठाते हैं और कुछ इस सिस्टम से शोषित भी होते हैं।

जबलपुर के चेरीताल में हाल ही में विदेशी श्वान की प्रतिबंधित नस्ल पिटबुल की वजह से सिस्टम से जुड़ा बड़ा मामला चर्चा में आया। जिसमें सिस्टम की एक बड़ी खामी उजागर हुई। जिसके चलते न्यायालय द्वारा घोषित अतिक्रमण को हटाने के अधिकार नगर निगम को मिलने के बावजूद भी उसे अब तक हटाया नहीं जा सका। यही वजह है कि बीसों साल से एक पक्ष आने-जाने वाली सड़क पर कब्ज़ा करके बैठा है। जिससे कॉलोनी के रहवासियों और आने-जाने वालों को भारी असुविधा हो रही है लेकिन सिस्टम बस नोटिस और ज़ुबानी कार्यवाही करके सरकारी कागज़ और समय खर्च कर रहा है। समस्या अभी भी जस की तस है।

फाइल फोटो : सामने की ओर से

क्या है पूरा मामला – जबलपुर के चेरीताल क्षेत्र में स्थित सरस्वती कॉलोनी के रहवासियों ने आज से 18 साल पहले जबलपुर प्रशासन को अपनी ही कॉलोनी में बने एक अतिक्रमण की लिखित शिकायत दी। जिसमें मृतक रम्मू पटेल(तत्कालीन समय में जीवित) पर आरोप लगाते हुए उनके द्वारा 40 फ़ीट चौड़ी सड़क पर अतिक्रमण करना बताया था। ये मामला जब न्यायालय पहुँचा तो न्यायालय ने भी सरस्वती कॉलोनी के रहवासियों की शिकायत को सही पाते हुए नगर निगम जबलपुर को उस सड़क से अतिक्रमण हटाने के अधिकार दे दिए। ये आदेश आज से 17 साल पहले सितंबर माह में ही दिया गया था। जिस पर नगर निगम ने अतिक्रमणकारी को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए। लेकिन न तो अतिक्रमण उसके द्वारा हटाया गया और न ही नगर निगम उसे हटा सका। कोर्ट के आदेश को 17 साल पूरे होने के बाद भी ये सिस्टम का मुंह चिढ़ा रहा है।

फाइल फोटो : पीछे की ओर से

रहवासियों के लिए क्यूँ ज़रूरी है ये सड़क – 18 साल पहले दी गई लिखित शिकायत में कॉलोनी के रहवासियों ने इस अतिक्रमण को उस सड़क पर काबिज़ होना बताया है जो उनके क्षेत्र को दमोहनाका से सीधे-सीधे जोड़ती है और उनके क्षेत्र से मुख्य चौराहे की दूरी को काफी कम कर देती है। इस सड़क को रहवासियों ने महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के लिए सुविधाजनक होना बताया है। बार-बार कार्यवाही टलने से रहवासियों ने न्याय होने की उम्मीद ही छोड़ दी। अतिक्रमणकारियों के डर से स्थानीयजन खुलकर विरोध भी नहीं करते।

कैसे आया मामला प्रकाश में – कुछ दिनों पहले अतिक्रमणकारी से जुड़े संपत्ति के एक मामले में दूसरे पक्ष द्वारा जब कोर्ट के आदेश पर मचकुरी को साथ लाकर संपत्ति का कब्ज़ा हासिल करना था। तब अतिक्रमणकारी कोर्ट के आदेश पालन की तारीख के दिन परिवार सहित गायब हो गया। और अपने पीछे उस संपत्ति में एक प्रतिबंधित विदेशी नस्ल का श्वान पिटबुल छोड़ गया। जिसकी वजह से पुलिसकर्मी और कोर्ट मचकुरी समेत अधिवक्ता और पीड़ित पक्ष पूरे दिन परेशान होते रहे। लेकिन कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो सका। जब इस मामले से संबंधित दस्तावेज़ जुटाए जा रहे थे तभी 40 फुट चौड़ी सड़क पर अतिक्रमण का मामला भी प्रकाश में आया।

अतिक्रमण कर सड़क पर बनाया गया शेड और कमरा ( हाल ही का फोटो – न्यायालय के अन्य आदेश पर अतिक्रमण से जुड़ी संपत्ति का कब्ज़ा लेने पहुँचा पीड़ित पक्ष, पिटबुल श्वान के उपस्थिति की वजह से नहीं हो पाया था आदेश का पालन)

पढिए इससे जुड़ी ख़बर यहाँ – विदेशी नस्ल के श्वान की वजह से नहीं हो सका न्यायालय के आदेश का पालन!

कोर्ट के आदेश और अतिक्रमण हटाने निगम के आदेश की लगातार नाफ़रमानी – अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निगम कई वर्षों से नोटिस देने की कार्यवाही कर रहा है। जिसके बाद अतिक्रमणकारी कोई न कोई कागज़ी पेंच फँसाकर या बहाना देकर कार्यवाही की गति धीमी कर देते। कुछ सालों पहले मृतक रम्मू पटेल दिवंगत हो गए लेकिन उसके बाद भी उनके परिवार का कब्ज़ा उस सड़क पर बना हुआ है। जून 2016 में उनके पुत्र महेश पटेल ने नगर निगम के नोटिस का जवाब देते हुए अपने पिता की मृत्यु को कारण बताते हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था। और आवेदन में ये भी लिख दिया कि अगर दो सप्ताह में वो अतिक्रमण नहीं हटा पाते तो निगम उस अतिक्रमण को तोड़ सकता है।

इस पूरे मामले में प्राथमिक मीडिया ने नगर निगम जबलपुर के अतिक्रमण अधिकारी सागर बोरकर से बात की तो उन्होंने कहा कि “पहले मामला देखना पड़ेगा और यदि ऐसा कुछ पाया जाता है तो अतिक्रमण हटा दिया जाएगा।”

वर्तमान फोटो
Chakreshhar Singh Surya
Chakreshhar Singh Suryahttps://www.prathmikmedia.com
चक्रेशहार सिंह सूर्या…! इतना लम्बा नाम!! अक्सर लोगों से ये प्रतिक्रया मिलती है। हालाँकि इन्टरनेट में ढूँढने पर भी ऐसे नाम का और कोई कॉम्बिनेशन नहीं मिलता। आर्ट्स से स्नातक करने के बाद पत्रकारिता से शुरुआत की उसके बाद 93.5 रेड एफ़एम में रेडियो जॉकी, 94.3 माय एफएम में कॉपीराइटर, टीवी और फिल्म्स में असिस्टेंट डायरेक्टर और डायलॉग राइटर के तौर पर काम किया। अब अलग-अलग माध्यमों के लिए फीचर फ़िल्म्स, ऑडियो-विज़ुअल एड, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म्स डायरेक्शन, स्टोरी, स्क्रिप्ट् राइटिंग, वॉईस ओवर का काम करते हैं। इन्हें लीक से हटकर काम और खबरें करना पसंद हैं। वर्तमान में प्राथमिक मीडिया साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र और न्यूज़ पोर्टल के संपादक हैं। इनकी फोटो बेशक पुरानी है लेकिन आज भी इतने ही खुशमिज़ाज।
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