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बुधवार, दिसम्बर 4, 2024
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शहडोल के जिला चिकित्सालय में पदस्थ लेडी मेडिकल ऑफ़िसर डॉ. रूबी खान प्रेरणा बन रही हैं महिलाओं के लिए

हममें से बहुत से लोग बचपन में ही सोच लेते हैं कि हमें बड़े होकर क्या बनना है, लेकिन कम ही लोग होते हैं जो अपने बचपन के सपनों पर बड़े होते तक टिके रहते हैं। बड़े होते-होते दुनिया के तौर-तरीकों, पारिवारिक स्थिति या फिर व्यवस्था की मार खाकर हमारे सपने भी अपना रास्ता बदल लेते हैं। लेकिन डॉक्टर रूबी खान अपने बचपन के सपने पर तब भी टिकी रहीं जब व्यापम में हो रहे घोटालों की वजह से हज़ारों लोग डॉक्टर बनने की ख़्वाहिश को छोड़ना चाह रहे थे। उन्होंने उस समय चिकित्सा की पढ़ाई के लिए सरकारी कॉलेज न मिलने का मलाल नहीं किया बल्कि निजी महाविद्यालय से पढ़ाई करके उन्होंने सपने को पूरा किया। इस दौरान वो हालातों के कठोर संघर्ष से होकर गुज़रीं लेकिन उनके माता-पिता ने उन्हें संघर्ष से दो-दो हाथ करने की ताकत दी। आज यही वजह है कि एक जॉइंट फैमिली में रहते हुए शहडोल के जिला चिकित्सालय में दिन हो या रात, जब भी उनकी ड्यूटी लगाई जाती है तो वो उस दौरान अपने कर्तव्य का बखूबी पालन करती हैं।

कोविड के समय एम्स भोपाल की यादें करती हैं भावुक –
डॉ खान बताती हैं कि कोविड के समय एम्स भोपाल में जब अपनी सेवाएं दे रहीं थीं तब मरीज़ों के परिजन बुरी तरह घबराए हुए थे लेकिन डॉक्टर खान और उनके साथियों के सहयोगात्मक रवैये और उन्हें सेवा में जुटा हुआ देख कोविड मरीज़ों के परिजन धन्यवाद के साथ साथ दुआएं भी देते थे। ये वो समय था जब लोग डॉक्टर्स की ओर बेहद उम्मीद भरी नज़रों से देख रहे होते थे। लेकिन कई बार ऐसा भी समय आता जब डॉक्टर्स भी असहाय हो जाते, तब उन्हें खुद में बुरा लगता था।

धैर्य के साथ समझाना पड़ता है मरीज़ों को – जिला अस्पताल में आने वाले मरीज़ कई बार हाई रिस्क पेशेंट होते हैं। ऐसे में कई बार मरीज़ या मरीज़ के परिजनों को बीमारी या बीमारी के इलाज, संभावित खतरों या परिणामों को समझने में कठिनाई होती है। ऐसे में उन्हें बहुत धैर्य के साथ समझाना पड़ता है। इसके अलावा लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए स्वास्थ्य शिविर में आशा कार्यकर्ताओं और ग्रामवासियों को सरल शब्दों में स्वास्थ्य से जुड़ी आवश्यक बातें भी उनके द्वारा समझाई जाती हैं।

डॉक्टर खान वर्तमान में जिला चिकित्सालय शहडोल के साथ-साथ ज़िले की जेल और बालिका संप्रेषण गृह में भी सेवाएं दे रही हैं। इससे पहले वे एआईआईएमएस भोपाल में जूनियर रेज़िडेंट डॉक्टर के तौर पर सेवाएँ दे चुकी हैं। साथ ही उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के गैस राहत हॉस्पिटल में भी अपनी सेवाएं दी हैं।

Chakreshhar Singh Surya
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चक्रेशहार सिंह सूर्या…! इतना लम्बा नाम!! अक्सर लोगों से ये प्रतिक्रया मिलती है। हालाँकि इन्टरनेट में ढूँढने पर भी ऐसे नाम का और कोई कॉम्बिनेशन नहीं मिलता। आर्ट्स से स्नातक करने के बाद पत्रकारिता से शुरुआत की उसके बाद 93.5 रेड एफ़एम में रेडियो जॉकी, 94.3 माय एफएम में कॉपीराइटर, टीवी और फिल्म्स में असिस्टेंट डायरेक्टर और डायलॉग राइटर के तौर पर काम किया। अब अलग-अलग माध्यमों के लिए फीचर फ़िल्म्स, ऑडियो-विज़ुअल एड, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म्स डायरेक्शन, स्टोरी, स्क्रिप्ट् राइटिंग, वॉईस ओवर का काम करते हैं। इन्हें लीक से हटकर काम और खबरें करना पसंद हैं। वर्तमान में प्राथमिक मीडिया साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र और न्यूज़ पोर्टल के संपादक हैं। इनकी फोटो बेशक पुरानी है लेकिन आज भी इतने ही खुशमिज़ाज।
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