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EXCLUSIVE | डिंडौरी के कोविड केयर सेंटर में 28 अप्रैल को हुई महिला मरीज की दर्दनाक मौत पर सीएम ने दिए कार्यवाही के निर्देश, एडवोकेट सम्यक जैन सहित प्रदेश के तीन युवाओं ने की थी शिकायत

नगर के एडवोकेट सम्यक, जबलपुर के एडवोकेट धीरज तिवारी और लॉ स्टूडेंड मनन अग्रवाल ने इलाज न मिलने के कारण महिला की मौत के मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान को लिखा था पत्र

CMO ने नियमानुसार कार्रवाई के लिए लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, डिंडौरी कलेक्टर रत्नाकर झा और SP संजय सिंह को दिए निर्देश, कहा : उचित एक्शन लेकर जल्द भेजें रिपोर्ट

डिंडौरी/भोपाल/जबलपुर | नगर के युवा एडवोकेट सम्यक, जबलपुर के एडवोकेट धीरज तिवारी और लॉ स्टूडेंट मनन अग्रवाल ने इलाज न मिलने के कारण जिला कोविड केयर सेंटर में 28 अप्रैल काे हुई महिला मरीज की दर्दनाक मौत के मामले में सीएम शिवराज सिंह चौहान को रिप्रेजेंटेटिव लैटर लिखा था, जिस पर संज्ञान लेते हुए सीएम चौहान ने गुरुवार को कार्यवाही के निर्देश दे दिए हैं। CMO ने नियमानुसार कार्यवाही के लिए लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, डिंडौरी कलेक्टर रत्नाकर झा और SP संजय सिंह को आज निर्देश भेजे हैं। इसमें मामले की गंभीरता को देखते हुए तत्काल उचित एक्शन लेकर रिपोर्ट भेजने को कहा गया है। तीनों युवा एडवाेकेट्स ने राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष को भी दलील भेजी थी। दरअसल, 28 अप्रैल को जिला कोविड केयर में भर्ती महिला कोरोना मरीज ने इलाज के अभाव में ICU वार्ड की फर्श पर तड़प-तड़पकर जान गंवा दी थी। इसका वीडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसे लेकर युवाओं ने अपनी आपत्ति और शिकायत दर्ज कराई थी। यह घटना धरती के भगवान कहे जाने वाले डॉक्टरों के सामने हुई थी। वीडियो में महिला पलंग के नीचे जमीन पर तड़प रही है और वहां पीपीई किट पहने मौजूद शख्स (संभवत: डॉक्टर) मानवीयता की सारी हदें पार करते दिख रहे हैं। किसी ने भी दर्द से तड़प रही महिला को हाथ लगाने या पलंग पर लिटाने की जहमत नहीं उठाई, जिससे मौके पर ही मरीज की मौत हो गई। 

यह थी प्रदेश के युवा एडवोकेट्स की ज्वलंत दलील?

एडवोकेट सम्यक, धीरज और मनन ने दलील में कहा था कि नियमानुसार कोई भी मेडिकल बॉडी गंभीर रूप से बीमार या आपातकालीन रोगी को इलाज के लिए मना नहीं कर सकती। इस तरह के ‘इनकार’ को भारतीय संविधान के अनुच्छेद-21 के तहत स्वास्थ्य के अधिकार का उल्लंघन माना जाता है। जिला कोविड केयर डिंडौरी में स्वास्थ्य विभाग द्वारा एक महिला मरीज के साथ अपनाया गया रवैया घोर लापरवाही को प्रदर्शित करता है। वीडियो में ICU वार्ड की फर्श पर महिला कोविड मरीज दर्द से तड़पती हुई नजर आ रही है। उसे उचित मेडिकल सुविधाएं देने के बजाय स्वास्थ्य कर्मियों ने यूं ही छोड़ दिया और वह चल बसी। तत्काल उपचार न मिलने की वजह से महिला की जान चली गई, जो उसके मौलिक अधिकारों का सरासर उल्लंघन है।

जिला स्तर पर ये हाल, तो छोटे अस्पतालों में क्या होगा?

युवा एडवोकेट्स ने तर्क दिया था कि जब जिला स्तर के अस्पताल में मरीज के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है, तो छोटे अस्पतालों में क्या होगा? यह अत्यंत चिंताजनक मामला है। एक कल्याणकारी राज्य के लिए सरकार का दायित्व है कि वह नागरिकों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए सुदृढ़ व्यवस्थाएं सुनिश्चित करे, लेकिन वर्तमान परिस्थिति ठीक विपरीत है। यह दैनिक आधार पर होने वाली कई घटनाओं में से एक है। डिंडौरी जिला अस्पताल के मेडिकल पेशेवरों के लापरवाह रवैए ने एक महिला की जिंदगी छीन ली। लिहाजा, मृत महिला के मौलिक अधिकारों का सम्मान करते हुए दोषियों के खिलाफ बड़े स्तर पर गंभीर कार्यवाही अपेक्षित है। ताकि मेडिकल जैसे महान पेशे को अपमानित करने वाले लोगों को सबक मिल सके और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।

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