39 दिनों से फरार चल रहे महिला कॉन्स्टेबल के रेप के आरोपी संदीप अयाची को कुछ दिनों पहले पाटन बायपास से गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया। जिसके बाद आज आरोपी की ओर से सत्र न्यायालय में जमानत की अर्ज़ी दी गई। जिसे न्यायालय ने खारिज कर दिया। हालाँकि गिरफ्तारी से पहले भी आरोपी संदीप अयाची ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत की याचिका लगाई थी जो माननीय न्यायालय द्वारा खारिज कर दी गई थी। आज ज़मानत की अर्ज़ी कोर्ट में देते हुए आरोपी की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ दत्त ने कहा कि आरोपी निर्दोष है और उसे झूठा फंसाया गया है, आरोप लगाने वाली महिला कांस्टेबल पढ़ी-लिखी और व्यस्क है और उसे इस तथ्य की जानकारी थी कि आरोपी शादीशुदा व्यक्ति है। इसलिए जो संबंध स्थापित किए गए दोनों की सहमति से किए गए। इस संबंध में ऐसे कोई चिकित्सीय साक्ष्य नहीं है जिसमें बलात्कार के प्रमाण मिलते हों। आरोपी दमोह का स्थाई निवासी है इसलिए उसके फरार होने की संभावना नहीं है। आरोपी की जमानत अर्जी का विरोध करते हुए पीड़िता के अधिवक्ता आलोक तिवारी ने दलील देते हुए कहा कि आरोपी पीड़िता का वरिष्ठ अधिकारी था इसलिए उसके द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारी पर दबाव डालकर और प्रलोभन देकर कृत्य किया गया जिसमें पीड़िता की सहमति नहीं थी। आरोपी घटना के बाद से फरार भी रहा है, यहां तक कि वह सरेंडर के लिए आवेदन देने के बाद भी उस तारीख में हाज़िर नहीं हुआ। इसलिए बाद में उसे पाटन बाईपास पर घेराबंदी करके गिरफ़्तार किया गया। पीड़िता के अधिवक्ता ने आगे कहा कि यदि आरोपी को जमानत दी जाती है तो वह पीड़िता या उसके परिवार के साथ कोई घटना घटित कर सकता है। माननीय न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद यह कहा कि यह मामला पुलिस अधिकारी होते हुए अपने अधीन पुलिस कर्मचारी को शादी का प्रलोभन देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए जाने से संबंधित है। जो कि एक बेहद गंभीर मामला है। यदि आरोपी को जमानत दी जाती है तो वह पीड़िता और गवाहों को प्रलोभन देने का प्रयास कर सकता है इसलिए मामले की गंभीरता को देखते हुए आरोपी द्वारा दी गई जमानत अर्जी खारिज की जाती है। सत्र न्यायालय की ओर से माननीय न्यायाधीश कुमारी उर्मिला यादव ने दोनों पक्षों को सुना। शासन की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक अनिल तिवारी उपस्थित रहे।
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