कल बुधवार की शाम छः बजे एक बिना माता-पिता की पुत्री को कलेक्टर ने 10 हज़ार की त्वरित सहायता प्रदान की। बातचीत के दौरान उसने बताया कि वो लड़की अपनी दो छोटी बहनों के साथ जबलपुर में ही रहती है। जहां उसे कुछ युवक भी परेशान करते हैं लेकिन मोबाईल खराब होने की वजह से वो किसी को सहायता के लिए भी कॉल नहीं कर पाती। कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी ने धैर्यपूर्वक उसकी बात सुनी और उसकी समस्या को समझा। जिसके बाद कलेक्टर ने उसे मोबाईल के लिए 10 हज़ार रुपये की सहायता राशि देने का वादा किया। साथ ही भविष्य में उसे शिक्षा संबंधी मदद मिलती रहे और उसे किसी तरह की परेशानी न हो इसके आगामी कार्यवाही के लिए उसका आवेदन महिला बाल विकास विभाग को भेज दिया।
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शाम के लगभग छः बजे पुलिस विभाग के कुछ अधिकारी कलेक्टर के कोर्ट रूम में कागज़ी कार्यवाहियों को अंजाम दे रहे थे। थोड़ी ही देर कलेक्टर डॉ इलैयाराजा टी के आने की सुगबुगाहट फैल जाती है। आमतौर पर जिस बड़े से हॉल में कलेक्टर सबकी समस्याओं को सुनते हैं वहाँ 6 बजने के कुछ मिनट के बाद ही कलेक्टर पहुंचते हैं। जहां पहले से ही कुछ पुलिस अधिकारी और कर्मचारी उनका इंतजार कर रहे हैं।
मैं हॉल से थोड़ा आगे बढ़ जाता हूँ। इस वक़्त कलेक्ट्रेट में बहुत कम लोग मौजूद होते हैं। आम जनता तो न के बराबर ही होती है। तभी मैं एक जाना पहचाना चेहरा देखकर उनसे मुस्कुराकर मिलता हूँ। उन्हें बताता हूँ कलेक्टर इस वक़्त भी लोगों से मिल रहे हैं। तब वो कहते हैं कि हाँ, दिन भर वो बेहद व्यस्त रहे हैं। उसके बाद भी वो लोगों से मिल रहे हैं। लेकिन सीएम हैं कि उन्हें काम करने नहीं देते!
उन्होंने जो कहा मैं उसकी उम्मीद नहीं कर रहा था लेकिन जो कहा गया उससे काफ़ी इत्तेफाक़ रखता हूँ। ये सही बात है कि जनप्रतिनिधियों को जनता ने जो दायित्व सौंपा है उसे निभाने के लिए सत्ता को प्रशासन को ही आदेश देने होते हैं। लेकिन पिछले कुछ दिनों से देख रहा हूँ कि प्रदेश सरकार ने हर ज़िले के कलेक्टर से लेकर स्कूल के शिक्षकों को मदारी का बंदर बना दिया है। सीएम अपनी सरकार के प्रमोशन के लिए ज़िले से लेकर प्रदेश स्तर तक विभिन्न “इवेंट्स” आयोजित कर रही है। ऐसा लग रहा है कि बिना “इवेंट्स” के ये सरकार काम नहीं करती। योजनाओं को प्रभावशाली ढंग से लागू करने के बजाए वे उसे ईवेंट का रूप दे देते हैं। हर दिवस और योजना को त्योहार की तरह मनाने के लिए छोटे-छोटे कर्मचारियों को ही दौड़ना-भागना पड़ता है। इससे सरकार का प्रमोशन तो हो रहा है लेकिन इसके बाद क्या? कर्मचारी यदि शासकीय रिसोर्सेज़ का इस्तेमाल कर रहे हैं तो उससे प्रमोशन नहीं रिजल्ट मिलना चाहिए।
खैर, उनसे बात करने के बाद मैं उसे हॉल में दाखिल होता हूँ जहां कलेक्टर और बाकी लोग पहले से मौजूद हैं। मैं देखता हूँ कि एक बालिका उनसे बात कर रही है। कलेक्टर उसकी समस्या बहुत धैर्यपूर्वक सुन रहे हैं। इस बीच संतरी ने मुझे देखकर कहा कि आपको भी मिलना है तो मिल लो। मैंने न में सिर हिला दिया। हॉल में मेरा ध्यान कलेक्टर के चेहरे पर गया। उनके चेहरे पर शिकन नहीं थी लेकिन आँखें साफ बता रहीं थी कि वो आज पूरे दिन से कितना व्यस्त रहे हैं। मैंने अपना मोबाईल निकाला और उनका फोटो लेने लगा। इस बीच एक संतरी ने मुझे इशारे से मना किया। एक पल के लिए मुझे लगा कि लड़की नाबालिक है इसलिए वो नहीं चाहते कि उसका फोटो लिया जाए। पर मैंने दो फोटो ले ही ली। ये सोचकर कि उसकी पहचान छिपायी जा सकती है। वो दोनों संतरी मेरे इस हरकत से एक-दूसरे की तरफ देखने लगते हैं। इस बीच मैं देखता हूँ उस बच्ची के आवेदन पर वो दस हज़ार रुपये की सहायता के लिए लिखते हैं। इसके बाद वो बाकी लोगों से मिलते हैं। इनमें कुछ लोगों के काम से वो असन्तुष्ट हैं। बीच में एक कान्ट्रैक्टर को नेत्रहीन बालिकाओं के स्कूल या छात्रावास में ठीक से निर्माण न करने के लिए वो फटकार भी लगाते हैं। इस दौरान एक विधायक भी उस हॉल से होते हैं कलेक्टर के कैबिन की तरफ जाते हैं। कलेक्टर उनका भी अभिवादन करते हैं। लेकिन उन्हें वहाँ से जाने की कोई जल्दी नहीं है। वो सबकी बातें सुनते हैं। निर्देश देते हैं, सलाह देते हैं। एक नए अधिकारी का पुष्पगुच्छ भी स्वीकार करते हैं लेकिन उसे ही उसके स्वागत में लौटा देते हैं। चंद मिनटों में वे अंदर चले जाते हैं। कुछ 15 मिनटों में ही वहाँ बहुत कुछ हो रहा था। जब वो बच्ची बाहर आती है तो मैं उसके नाबालिक होने की बात की जानकारी लेता हूँ तो पता चलता है कि वो 19 साल की है। फिर मैं संतरी से पूछता हूँ कि वो मुझे मना क्यूँ कर रहे थे? तो वो कहते हैं कि कलेक्टर साहब समय निकालकर सबसे मिलने की कोशिश करते हैं लेकिन वो नहीं चाहते हैं कि हर चीज़ कि फोटो छपे। ये बात सुनकर मुझे महसूस हुआ कि उन्हें प्रचार की कोई लालसा नहीं है। मैं उस बच्ची से कैमरा के सामने बात करता हूँ। अंदर से एक संतरी बाहर आकार उस बच्ची के लिए चाय मँगवाने को कहता है। ऐसा लगा जैसे अंदर से ही ये आदेश आया है। ताकि जितनी समय उसका आवेदन महिला बाल विकास विभाग में जाने में लगेगा वो कम से कम चाय पी ले। क्यूंकि वो काफ़ी देर से उनका वहाँ पहले ही इंतज़ार कर चुकी है।
इसके बाद वहाँ दो लोग आते हैं, देखने में सामान्य व्यक्ति थे। उनमें से एक के मुताबिक ये सबकुछ जो हो रहा था या हो चुका था, वो खबर नहीं है। उसकी प्रतिक्रिया देखकर मुझे ऐसा लगा जैसे कि उसके दौ सौ रुपये का लिफाफा खो गया हो। उसका व्यवहार चाय से ज्यादा केटली गरम वाले हिसाब का था। वो बेहद खीझा हुआ था। उसके हिसाब से न्यूज पोर्टल पर मदन महल थाना पुलिस कार्यवाही कर रही है। और उसने आरएनआई वाले कई अखबार देख लिए। इतना विक्षिप्त व्यक्ति कलेक्ट्रेट परिसर में घूमना वहाँ आने वाले फरियादियों के लिए बेहद खतरनाक है।
दीपावली के बाद बुधवार, 2 नवंबर को महालक्ष्मी की पूजा का एक और पर्व है। इस दिन अक्षय नवमी है, इसे आंवला नवमी भी कहा जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी पर आंवले से जुड़े तीन काम खासतौर पर किए जाते हैं- आंवले के पेड़ की पूजा, इसका रस पानी में मिलाकर स्नान करना और खाने में आंवला शामिल करना। ये पर्व सेहत और प्रकृति का महत्व समझाता है। देवी लक्ष्मी की पूजा में आंवला खासतौर पर चढ़ाया जाता है। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी का पर्व मनाया जाता है। इसे अक्षय नवमी के नाम से भी जानते हैं। मान्यता है कि आंवला नवमी के दिन व्रत रखा जाता है, साथ ही आंवला के पेड़ की पूजा भी की जाती है, ऐसा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और कष्ट दूर होते हैं। इस साल आंवला नवमी का पर्व 2 नवंबर 2022 बुधवार को मनाया जा रहा है। इस दिन महिलाएं आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर संतान प्राप्ति और उनके अच्छे स्वास्थ्य के लिए पूजा करती हैं। इस दिन आंवला के पेड़ के नीचे बैठकर भोजन भी किया जाता है। आंवला नवमी के पावन दिन व्रत कथा को पढ़ने या सुनने का भी विशेष महत्व होता है, ऐसा माना जाता है कि कृष्ण ने बाल लीलाएं छोड़कर अपनी जिम्मेदारियों को समझा था और मथुरा का त्याग किया था, इसलिए उस दिन को आंवला नवमी के रूप में पूजते हैं। आंवला नवमी का शुभ मुहूर्त: – नवमी तिथि प्रारम्भ – 1 नवम्बर 2022,मंगलवार को रात 11 बजकर 04 मिनट से शुरू नवमी तिथि समाप्त – 2 नवम्बर 2022, बुधवार को रात 9 बजकर 9 मिनट तक आंवला नवमी पूजा का शुभ मुहूर्त- सुबह 06:34 से दोपहर 12:04 बजे तक अवधि- 5 घंटे 31 मिनट पूजा विधि :- सुबह सुबह स्नान करके नए कपड़े पहनकर पेड़ के नीचे बैठकर उसकी पूजा की जाती है। इस दिन आंवला की जड़ में जल में कच्चा दूध मिलाकर अर्पित किया जाता है, इसके साथ ही फूल, माला, सिंदूर, अक्षत आदि लगाने के साथ भोग लगाया जाता है, पेड़ के नीचे बैठकर भोजन किया जाता है। इसके साथ ही तने में कच्चा सूत या फिर मौली आठ बार लपेट सकते हैं। पूजा के बाद व्रत कथा सुनी जाती है और आरती भी करते हैं। इसके अलावा महिलाएं व्रत भी रखती हैं। आंवला नवमी का महत्व :- आंवला नवमी के दिन दान पुण्य का अधिक महत्व है, माना जाता है कि कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि से लेकर कार्तिक पूर्णिमा तक भगवान विष्णु आंवले के पेड़ में विराजमान रहते हैं. इसलिए अक्षय नवमी के दिन विधिवत आंवला के पेड़ की पूजा करने के साथ इसकी छाया में बैठकर भोजन करना शुभ माना जाता है, इस दिन आंवला के पेड़ की पूजा करने के साथ 108 बार परिक्रमा करने से सभी कामनाएं पूर्ण हो जाती है कथा : – काशी में एक निःसंतान धर्मात्मा वैश्य रहता था, एक दिन वैश्य की पत्नी से एक पड़ोसन बोली यदि तुम किसी पराए लड़के की बलि भैरव के नाम से चढ़ा दो तो तुम्हें पुत्र प्राप्त होगा, यह बात जब वैश्य को पता चली तो उसने अस्वीकार कर दिया, परंतु उसकी पत्नी मौके की तलाश में लगी रही, एक दिन एक कन्या को उसने कुएं में गिराकर भैरो देवता के नाम पर बलि दे दी, इस हत्या का परिणाम विपरीत हुआ, लाभ की जगह उसके पूरे बदन में कोढ़ हो गया तथा लड़की की प्रेतात्मा उसे सताने लगी, वैश्य के पूछने पर उसकी पत्नी ने सारी बात बता दी इस पर वैश्य कहने लगा गौवध, ब्राह्यण वध तथा बाल वध करने वाले के लिए इस संसार में कहीं जगह नहीं है। इसलिए तू गंगा तट पर जाकर भगवान का भजन कर तथा गंगा में स्नान कर तभी तू इस कष्ट से छुटकारा पा सकती है, वैश्य की पत्नी पश्चाताप करने लगी और रोग मुक्त होने के लिए मां गंगा की शरण में गई, तब गंगा ने उसे कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला के वृक्ष की पूजा कर आंवले का सेवन करने की सलाह दी थी, जिस पर महिला ने गंगा माता के बताए अनुसार इस तिथि को आंवला वृक्ष का पूजन कर आंवला ग्रहण किया था और वह रोगमुक्त हो गई थी, इस व्रत व पूजन के प्रभाव से कुछ दिनों बाद उसे संतान की प्राप्ति हुई, तभी से हिंदुओं में इस व्रत को करने का प्रचलन बढ़ा, तब से लेकर आज तक यह परंपरा चली आ रही है।
सोशल मीडिया पर बरेली और मुरादाबाद हाईवे टोल प्लाज़ा का एक पुराना विडिओ वायरल हो रहा है। जिसमें टोल न चुकाने पर टोलकर्मी और स्वयं को जज बताने वाले प्रेम सिंह वर्मा के बीच बहस हो रही है। इस विडिओ में टोलकर्मी ने उन्हें टोल टैक्स न देने पर कानून का हवाला देते हुए टोल देने के लिए बाध्य कर दिया।
इस टोलकर्मी का विडिओ हज़ारों लोगों ने शेयर किया है। इनमें से एक आईपीएस अधिकारी दीपांशु काबरा भी हैं जो छत्तीसगढ़ में जनसंपर्क और परिवहन आयुक्त हैं। उन्होंने भी उस समय टोलकर्मी की हिम्मत की दाद देते हुए लिखा ,” ग्रेट, सामने कोई भी हो, कर्तव्य के प्रति वचनबद्ध रहना सबके बस की बात नहीं है। ऐसे पुरुषार्थी, कर्तव्यनिष्ठ लोग विरले ही मिलते हैं।”
इस वीडियो में साफ नजर आ रहा है कि कैसे एक न्यायाधीश टोल प्लाजा पर 80 रूपये टैक्स न देने के लिए विवाद कर रहे हैं। यह सीसीटीवी फुटेज 5 सितंबर 2020 का है।
वीडियो के शुरू में टोलकर्मी जज साहब से बड़ी शालीनता से पूछता है ,” पहले आप हां या न में जवाब दीजिए। अपने पढ़ा है या नहीं पढ़ा है?” गाड़ी के अंदर बैठे हुए जज साहब कहते हैं ‘हां पढ़ा है।” जिसके बाद कर्मचारी कहता है कि आप हाई कोर्ट से नहीं हैं आप जिला कोर्ट से हैं। आप नियम जानते हैं, आप कहीं से भी होंगे मैं इतने कानून निकलूंगा कि आप कानून फ़साते और निकालते हो न, इतनी तारीखें आप लोग लेते हो कि आम आदमी बेहोश हो जाता है। उसकी आत्मा मरने लगती है।”
टोल प्लाजा पर चली बहस में जज साहब आगे कहते हैं,” मैंने जानबूझकर रोड जाम नहीं किया है।” टोल कर्मी कहता है ,”जब आपने टोल एक्ट पढ़ा है तो आपको ये मालूम होना चाहिए की जिला जज के लिए टोल मुफ़्त नहीं है। आपने अपने अधिकारों का गलत इस्तेमाल किया है। आप पेमेंट दीजिए।” टोलकर्मी द्वारा जज को कानून का पाठ पढ़ाने के बाद, वीडियो के अंत में प्रेम सिंह वर्मा नाम के जिला कोर्ट जज को पैमेंट देनी पड़ती है। उसका विडिओ यहाँ दिया जा रहा है।
जबलपुर में आज सुबह 8 बजकर 43 मिनट पर भूकंप के झटके महसूस किये गए। लोगों के मुताबिक ये झटका उन्हें एक सेकंड के लिए महसूस हुआ। जिसके बाद उन्हें एहसास हुआ कि ये भूकंप था। थोड़ी ही देर में लोगों ने सोशल मीडिया पर भूकंप की जानकारी शेयर करना शुरू कर दी। जिससे सभी के अनुभव सामने आने लगे। भूकंप की तीव्रता कम होने की वजह से चलते-फिरते लोगों को इसका अहसास नहीं हुआ।
नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ सिसमोलोजी के मुताबिक इस झटके की तीव्रता 3.9 मैग्निट्यूड थी, जिसका केंद्र जबलपुर के उत्तर पूर्व दिशा में सतह से 10 किलोमीटर की गहराई में था। भौगोलिक स्थिति 23.28, 80.35 के मुताबिक केंद्र कुंडम के समीप बदुआ (badua) के नीचे था। जिसकी जबलपुर से दूरी लगभग 55 किलोमीटर है। बदुआ के पास यह खूबसूरत बांध भी है।
आज यहाँ भी आए थे भूकंप: सुबह चार 4 बजकर 7 मिनट पर अरुणाचल प्रदेश के कमांग में 3.7 मैग्निट्यूड के झटके महसूस किये गए थे। वहीं पाकिस्तान में 1 बजकर 15 मिनट पर 4.8 मैग्निट्यूड का भूकंप सतह से 120 किलोमीटर की गहराई से आया था।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को बलात्कार की पुष्टि के लिए ‘टू-फिंगर टेस्ट’ को महिला की गरिमा और निजता का उल्लंघन करार दिया। सुप्रीम कोर्ट ने इस तरह से परीक्षण को दुर्भाग्यपूर्ण बताया और अधिकारयों से इस तरह के टेस्ट करने पर कड़ा ऐक्शन लेने को कहा है।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली की पीठ ने झारखंड हाई कोर्ट द्वारा एक बलात्कार और हत्या के दोषी को बरी करने के फैसले को पलटते हुए कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बलात्कार पीड़िताओं की जांच के लिए दो अंगुलियों की जांच की प्रथा अभी भी समाज में प्रचलित है।
पीठ ने इस परीक्षण को महिलाओं की गरिमा के खिलाफ बताते हुए कहा, “टू-फिंगर टेस्ट एक महिला की निजता का उल्लंघन है। योनि की शिथिलता का परीक्षण करने वाली प्रक्रिया महिलाओं की गरिमा के खिलाफ है। यह नहीं कहा जा सकता है कि एक यौन सक्रिय महिला का बलात्कार नहीं किया जा सकता है।”
कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकार के अधिकारियों को कई निर्देश जारी करते हुए कहा कि राज्यों के डीजीपी और स्वास्थ्य सचिवों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि ‘टू-फिंगर टेस्ट’ न हो। शीर्ष अदालत ने कहा कि टू-फिंगर टेस्ट कराने वाले किसी भी व्यक्ति को कदाचार का दोषी माना जाएगा। इसके साथ ही कोर्ट ने केंद्र और राज्य के स्वास्थ्य सचिवों को सरकारी और निजी मेडिकल कॉलेजों के पाठ्यक्रम से टू-फिंगर टेस्ट पर अध्ययन सामग्री को हटाने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया।
क्या है टू फिंगर टेस्ट? – जैसा कि नाम से ही स्पष्ट कि दो उंगलियां वाला टेस्ट। इसमें पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर उसकी वर्जिनिटी टेस्ट की जाती है। यह टेस्ट इसलिए किया जाता है ताकि इससे पता चल सके कि महिला के साथ शारीरिक संबंध बने थे या नहीं।
हालांकि 2013 में भी सुप्रीम कोर्ट ने टू-फिंगर टेस्ट को असंवैधानिक माना था। कोर्ट ने कहा था कि यह शारीरिक और मानसिक चोट पहुंचाने वाला टेस्ट है।
क्या है इस टेस्ट का वैज्ञानिक आधार – इस टेस्टिंग का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। विज्ञान का मानना है कि महिलाओं की वर्जिनिटी में हाइमन के इनटैक्ट होने से साबित नहीं होता है कि बलात्कार हुआ है या नहीं।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार (31 अक्टूबर) को बलात्कार के मामलों में “टू-फिंगर टेस्ट” करने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने इसे अपराध की श्रेणी में रखा है। ऐसा करने वालों को दोषी माना जाएगा। हालांकि कोर्ट ने इस बाबत पहले भी आदेश जारी किया था।
पहले ये धाराणा थी कि अगर प्राइवेट पार्ट में आसानी से दोनों उंगलियां चली गई तो ये माना जाता है कि महिला ने सेक्स किया है। इसे ही महिला के वर्जिन होने या वर्जिन न होने का भी सबूत मान लिया जाता है।
कब शुरू हुआ था – इस परीक्षण की शुरुआत 1898 में एल थोइनॉट ने की थी। इस टेस्ट के अंतर्गत कहा गया कि सहमति के साथ बनाये गये यौन संबंधों में हाइमन लचीलेपन की वजह से टूटता नहीं है, जबकि जबरन बलात्कार करने से यह टूट जाता है।
लड़कियां जब पहली बार शारीरिक संबंध बनाती हैं तो हाइमन टूटने की वजह से उनकी योनि से खून बहने लगता है। लेकिन ऐसा हमेशा हो ये आवश्यक नहीं है। कुछ महिलाओं के कसरत करते हुए या खेलकूद करते हुए भी हाइमन अक्सर पहले ही टूट जाता है।
जबलपुर, सखी सहेली ग्रुप सोनकर समाज के द्वारा भानतलैया स्थित त्रिमूर्ति मंदिर में आज कार्तिक पक्ष के अवसर पर महिलाओं द्वारा तुलसी परिक्रमा के साथ ही रास का आयोजन किया गया। जिसमें महिलाओं ने कृष्ण राधा बनकर जीवंत रास का आनंद लिया ग्रुप की दीपमाला सिलावट ने बताया कि महिलाओं के ग्रुप द्वारा इसी तरह धार्मिक एवं सामाजिक आयोजन किये जाते हैं ताकि समाज मे महिला बहनों का योगदान बढ़ता रहे।
वडोदरा, भारत कम लागत से गुणवत्तापूर्ण विनिर्माण क्षमता, वैश्विक-मानक प्रतिस्पर्धी माहौल और व्यापार सुगमता के साथ वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है। साथ ही यह परियोजना आत्मानिर्भर भारत के लक्ष्यों को प्राप्त करने में मील का पत्थर साबित होगी। गुजरात के वडोदरा में सी-295एमडब्ल्यू परिवहन विमान विनिर्माण परियोजना की आधारशिला रखने के बाद प्रधानमंत्री ने ये कहा।
उन्होंने आगे कहा कि मेक इन इंडिया पहल से देश, परिवहन विमान बनाने की क्षमता हासिल कर लेगा और भविष्य में यात्री विमान भी बना सकेगा। मोदी ने कहा कि यह परियोजना 25 बिलियन डॉलर के रक्षा उत्पादों के विनिर्माण और पांच बिलियन डॉलर के रक्षा उत्पादों के निर्यात के लक्ष्य को प्राप्त करने में मदद करेगी। और वडोदरा में बनने वाले परिवहन विमान न केवल सेना को सशक्त बनाएंगे, बल्कि देश में विमान निर्माण के लिए एक नया तंत्र भी स्थापित करेंगे।
मोदी ने कहा कि भारत का विमानन क्षेत्र दुनिया में सबसे तेजी से विकास कर रहे विमानन क्षेत्रों में से एक है। भारत जल्द ही हवाई यातायात के मामले में शीर्ष 3 देशों की सूची में प्रवेश करने वाला है। उन्होंने कहा कि आने वाले 10 से 15 वर्षों में, देश को दो हजार से अधिक यात्री और मालवाहक विमानों की आवश्यकता होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में आज आर्थिक सुधारों की एक नई गाथा लिखी जा रही है। पिछले आठ वर्षों में सरकार देश में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए व्यापार सुगमता पर जोर दे रही है। उन्होंने कहा कि नया भारत नई मानसिकता और कार्य संस्कृति के साथ बढ़ रहा है जो देश के विकास में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करती हैं। उन्होंने निजी क्षेत्र से, देश में निजी भागीदारी के लिए बनाए जा रहे सकारात्मक माहौल का अधिक से अधिक लाभ उठाने का आग्रह किया।
मोदी ने कहा कि भारतीय विनिर्माण क्षेत्र दुनिया में तेजी से बढ़ रहा है। सेमीकंडक्टर्स से लेकर विमान तक हर चीज का निर्माण देश में हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले आठ वर्षों में 160 से अधिक देशों से भारी निवेश आकर्षित किया है जिससे अर्थव्यवस्था के 60 से अधिक क्षेत्रों को लाभ हुआ है।
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि यह देश के लिए गर्व की बात है कि ये विमान निर्माण सुविधा निजी क्षेत्र स्थापित कर रहा है। उन्होंने इस पल को भारतीय रक्षा क्षेत्र की आत्मनिर्भरता की यात्रा में मील का पत्थर बताया। इस अवसर पर केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल, टाटा समूह के मुख्य कार्यकारी अधिकारी नटराजन चंद्रशेखरन और एयरबस के क्रिस्टियन शेरर मौजूद थे।
ज्ञात हो कि सी-295एमडब्ल्यू परिवहन विमान विनिर्माण परियोजना, लगभग 22,000 करोड़ रुपये की भारत की पहली परिवहन विमान परियोजना होगी। भारत में निजी कंपनियों, एयरबस डिफेंस और टाटा कंसोर्टियम सी-295एमडब्ल्यू परिवहन विमान का विनिर्माण करेंगे। भारत, परिवहन विमान विनिर्माण क्षमता वाला 12वां देश होगा।
उत्तर प्रदेश में केंद्र सरकार द्वारा सौभाग्य योजना के तहत उपभोक्ताओं को निशुल्क बिजली कनेक्शन प्रदान किए गए थे परंतु आज एक कनेक्शन केंद्र सरकार के लिए गले की हड्डी बन गए जिसे ना भुला जा रहा है ना निगला जा रहा है, उपभोक्ता द्वारा बिजली का बिल जमा नहीं किया जा रहा है। जिससे विद्युत विभाग को काफी नुकसान हो रहा है इससे विद्युत विभाग बहुत ही ज्यादा परेशान है.
करीब पांच वर्ष पहले केंद्र सरकार ने सौभाग्य योजना के तहत 48 हजार 840 उपभोक्ताओं को निशुल्क बिजली कनेक्शन दिया था। बीपीएल उपभोक्ताओं का कनेक्शन पूरी तरह मुफ्त था जबकि एपीएल उपभोक्ताओं को कनेक्शन तो उस समय मुफ्त दिया गया लेकिन बाद में 10 माह तक 50 रुपये प्रतिमाह की दर से कनेक्शन चार्ज का भुगतान करना था। दोनों तरह के उपभोक्ताओं के घरों पर मीटर लगाया गया था जिससे उनके द्वारा उपभोग की जाने वाली बिजली का बिल समय से वसूला जा सके। कमजोर वर्ग के लोगों को निशुल्क कनेक्शन देने के पीछे सरकार की मंशा थी कि इससे बिजली की चोरी रुकेगी और पावर कार्पोरेशन का राजस्व भी बढ़ेगा। साथ ही कमजोर वर्ग के उपभोक्ता भी बिजली का उपयोग वैध तरीके से कर सकेंगे।
विभागीय आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा समय में प्रत्येक उपभोक्ता का पांच वर्षों में करीब 25 से 30 हजार रुपये का बकाया हो चुका है। इन सभी उपभोक्ताओं पर लगभग 124 करोड़ रुपये के बिजली बिल का बकाया लंबित हो गया है। लगातार ऐसे उपभोक्ताओं को बकाया भुगतान के लिए कहा जा रहा है। नियमित बिल भी भेजा जा रहा है लेकिन भुगतान नहीं मिल पा रहा है
गुजरात के मोरबी शहर में रविवार की शाम माच्छू नदी पर बना केबल पुल टूटने से कम से कम 80 व्यक्तियों की मौत हो गई। यह पुल करीब एक सदी पुराना था और मरम्मत के बाद हाल ही में इसे लोगों के लिए खोला गया था। हाल ही में मरम्मत के बाद जनता के लिए चार दिन पहले ही खोले गए इस पुल पर लोगों की काफी भीड़ थी। पुल शाम करीब साढ़े छह बजे टूट गया। मोरबी सिविल अस्पताल के अधीक्षक डॉ प्रदीप दुधरजिया ने कहा, मोरबी केबल पुल टूटने से कम से कम 80 लोगों की मौत हो गई है। हमारे अस्पताल में अब तक कई शव लाये गए हैं। गुजरात के मंत्री बृजेश मेरजा ने पुष्टि की कि हादसे में करीब 80 लोगों की मौत हुई है। प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि जब पुल टूटकर गिरा तब उस पर कई महिलाएं, बच्चे और अन्य लोग थे, जो नीचे पानी में गिर गए। दीपावली की छुट्टी और रविवार होने के कारण प्रमुख पर्यटक आकर्षण पुल पर पर्यटकों की भीड़ उमड़ी हुई थी। एक निजी संचालक ने लगभग छह महीने तक पुल की मरम्मत का काम किया था। पुल को 26 अक्टूबर को गुजराती नववर्ष दिवस पर जनता के लिए फिर से खोला गया था।
घटना के बाद रेस्क्यू टीमें रवाना गुजरात सीएमओ ने बताया कि भारतीय नौसेना के 50 कर्मियों के साथ एनडीआरएफ (NDRF) के 3 दस्तें, भारतीय वायुसेना के 30 जवानों के साथ बचाव और राहत अभियान के लिए सेना के 2 कॉलम और फायर ब्रिगेड की 7 टीमें राजकोट, जामनगर, दीव और सुरेंद्रनगर से उन्नत उपकरणों के साथ मोरबी के लिए रवाना हुई। एसडीआरएफ (SDRF) की 3 और राज्य रिजर्व पुलिस के 2 दस्तें भी बचाव और राहत कार्यों के लिए पहुंच रही हैं।
मुआवजे का किया एलान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हादसे में जान गंवाने वालों में से प्रत्येक के परिजनों के लिए पीएमएनआरएफ से 2 लाख रुपये और घायलों के लिए 50 हजार रुपये अनुग्रह राशि की घोषणा की है। गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल ने भी राज्य सरकार की ओर से प्रत्येक मृतक के परिवार को 4 लाख रुपये और घायलों को 50,000 रुपये देने का एलान किया है।
मामला दर्ज – गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने घटनास्थल का दौरा किया। इसके अलावा पुल प्रबंधन टीम पर आईपीसी की धारा 304, 308 और 114 के तहत मामला भी दर्ज कर लिया गया है। राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रुशिकेश पटेल के अनुसार घायलों का अस्पतालों में इलाज चल रहा है और कुछ को इलाज के बाद छुट्टी दे दी गई है। अभी भी खोज और बचाव अभियान जारी है।
अरविंद केजरीवाल ने जताया दुख दिल्ली के मुख्यमंत्री और आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी इस हादसे पर दुख व्यक्त किया है। उन्होंने ट्वीट किया कि, “गुजरात से बेहद दुःखद खबर मिल रही है. मोरबी में ब्रिज टूट जाने से कई लोगों के नदी में गिर जाने की खबर है। भगवान से उनकी जान और स्वास्थ्य की प्रार्थना करता हूं।” दमकल विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि लोगों को नदी से निकालने के लिए नावों का इस्तेमाल किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा, हम नावों की मदद से बचाव कार्य कर रहे हैं। नदी में करीब 40-50 लोग हैं। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने एक ट्वीट में कहा कि वह त्रासदी से दुखी हैं। उन्होंने कहा, प्रशासन द्वारा राहत और बचाव अभियान जारी है। प्रशासन को घायलों के तत्काल इलाज की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया है। मैं इस संबंध में जिला प्रशासन के लगातार संपर्क में हूं।
शुरू हुआ सोशल मीडिया ट्रायल: घटना के विडिओ सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद और न्यूज चैनल में आने के बाद घटना का सोशल मीडिया ट्रायल शुरू हो गया। जिसमें तमाम राजनीतिक दलों से संबंधित लोग एक-दूसरे की पार्टी पर इस घटना का आरोप लगाते हुए नज़र आए।