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गुरूवार, नवम्बर 21, 2024

क्या मतलब ऐसी नेतागिरी का कि जब विज्ञापन करके बताना पड़े “हमने ये किया था”

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लोकतंत्र का महापर्व कहा जाने वाला चुनाव लगभग सिर पर है। एक बार फिर जनता के पास मौका होगा अपने जनप्रतिनिधियों के पिछले पाँच साल में किये वादों और उन पर अमल, साथ ही किये गए कामों की समीक्षा करने का। हालांकि व्यवस्था तो कुछ ऐसी होना चाहिए कि जैसे हर साल आपको आय का लेखा-जोखा सरकार को देना पड़ता है वैसे ही जनप्रतिनिधियों को भी हर साल अपने काम का लेखा-जोखा जनता के समक्ष रखना चाहिए। लेकिन ऐसी व्यवस्था लाये कौन? जो ऐसी व्यवस्था ला सकते हैं वो ऐसा करके अपने ही गले में घंटी क्यूँ बाँधेंगे? चूंकि यह कार्य व्यवस्थापिका का है इसलिए न्यायपालिका इसमें दखल शायद ही दे। और अगर वो दखल देने भी लगे तो संसद अपने विशेषाधिकारों की दुहाई देने लगेगी। बहरहाल मुंगेरीलाल के हसीन सपने से बाहर आते हैं और यथार्थ की बात करते हैं। सूचना क्रांति और सोशल मीडिया के इस दौर में अपने काम का क्रेडिट लेने या जनता को ये बताने “हम ये करने वाले हैं या हमने ये किया है” का उद्देश्य पूरा करने के लिए प्रतिदिन 2 करोड़ रुपये खर्च करना पड़े तो ये कैसी आत्मनिर्भरता और मेक इन इंडिया है? जी हाँ, लोकसभा में दिए गए जवाब में सरकार ने बताया था कि वर्ष 2014 से दिसंबर 2022 तक प्रिन्ट मीडिया को 3230.77 करोड़ और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को 3260.79 करोड़ के विज्ञापन दिए गए। यानि आठ साल सात महीने में विज्ञापन पर 6491.56 करोड़ रुपए खर्च किए गए।

एक सर्वे के मुताबिक भारत में 30 प्रतिशत परिवार मध्यम वर्गीय हैं। ये वो परिवार हैं जो घर के कार्यक्रम का बजट कंट्रोल करने के लिए व्हाट्सएप पर ही इन्विटेशन भेजने लगे हैं। महीने का बजट न बिगड़ जाए इसलिए सब्ज़ी में टमाटर रोज़ नहीं डालते। दाल में धनिया की चंद पत्तियां ही डालकर काम चला लेते हैं। प्याज़ जब सस्ती होती है तो उसकी एक बोरी खरीदकर रख लेते हैं और कई महीनों तक उसका इस्तेमाल करते हैं। गाड़ी का पेट्रोल बच जाए इसलिए ढालान में इंजिन बंद कर लेते हैं। एक ही शर्ट को हफ्ते में तीन बार भी पहन लेते हैं। टूथपेस्ट को पापड़ बनाकर उसका पूरा दाम वसूलते हैं। बच्चों की पढ़ाई-लिखाई के लिए अपने घूमने के शौक को मार देते हैं। एक मध्यम वर्गीय परिवार न जाने क्या-क्या जुगाड़ करके अपना खर्च बचाता है। वहीं उनके द्वारा ही चुनी गई सरकार रोज़ दो करोड़ से ज़्यादा के सिर्फ विज्ञापन ही दे रही है! सरकारी दफ्तरों और सरकारी वेबसाइट्स पर तो वैसे ही आपका पर्याप्त प्रचार हो रहा है। सोशल मीडिया पर भी हर विभाग से लेकर जनप्रतिनिधि मौजूद हैं। उनसे भी तो जनता डिजिटली जुड़ी हुई है। और दफ्तरों की दीवारों पर भी तो फ्लेक्स से लेकर आवेदनों पर हर योजना और उसका लाभ देने वाली सरकार का नाम भी लिखा ही है। आम जनता को तो अपने दस्तावेज़ों या योजनाओं का लाभ लेने के लिए यहाँ से वहाँ चक्कर तो काटना ही पड़ता है। तब वो आपका नाम देखते ही हैं। फिर ऐसे में अलग से विज्ञापन करके जताने की आवश्यकता क्यूँ पड़ रही है? बात यहाँ खत्म नहीं होती। इतना खर्च करने और पूरे पाँच साल अपनी कथनी और करनी का राग अलापने के बाद जब चुनाव का समय आता है तो उसके ठीक पहले एलईडी स्क्रीन पर अपने कामों का क्रेडिट लेने के लिए विडिओ चलने लगेंगे और जगह-जगह होर्डिंग भी लग जाएगी। ज़ाहिर सी बात है कि इन पर खर्च होने वाला पैसा आपकी सेविंग्स का तो बिल्कुल नहीं है। क्या जनता इतनी भुलक्कड़ है कि आपने पाँच साल क्या किया उसे याद नहीं है? या जनता को आप इतना आत्मनिर्भर नहीं बना पाए कि वो अपना जनप्रतिनिधि बिना प्रचार-प्रसार के बहकावे में आए अपने बुद्धि-विवेक से चुन ले? या भारत अभी भी डिजिटल इंडिया नहीं बन पाया है? क्या मतलब ऐसी नेतागिरी का जब विज्ञापन करके खुदकी पीठ थपथपाना पड़े और अपने काम के बारे में भी बताना पड़े? अगर हक़ीक़त में काम किया तो जनता जरूर आपको चुनेगी।  डरने की क्या जरूरत? सोचने वाली बात है… है कि नहीं?

अगले दो महीने तक बिना अनुमति नहीं कर सकेंगे कोई आयोजन

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जबलपुर जिला दण्‍डाधिकारी एवं कलेक्‍टर सौरभ कुमार सुमन ने नागरिकों के मौलिक अधिकारों के हनन को रोकने तथा आने वाले त्‍यौहारों के दौरान जिले में कानून व्‍यवस्‍था बनाये रखने के मद्देनजर दण्‍ड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144(1) के तहत प्रतिबंधात्‍मक आदेश जारी किया है। पुलिस अधीक्षक से प्राप्‍त प्रतिवेदन के आधार पर जिला दण्‍डाधिकारी द्वारा जारी प्रतिबंधात्‍मक आदेश तत्‍काल प्रभाव से लागू हो गया है तथा यह आगामी दो महीने तक प्रभावी रहेगा।

आयोजन के बिना न करें कार्यक्रम और ध्यान रखें धार्मिक भावनाओं का: आदेश के मुताबिक सभी प्रकार के आयोजन प्रशासनिक अधिकारियों की अनुमति से ही किये जा सकेंगे। अनुमति प्राप्‍त न होने पर या बिना अनुमति के आयोजित कार्यक्रमों को अवैधानिक घोषित कर वैधानिक कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी। अनुमति प्राप्‍त आयोजनों में भी ऐसे नारे अथवा शब्‍दों का प्रयोग नहीं किया जा सकेगा, जिससे किसी भी धर्म या वर्ग की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचे। ऐसा पाये जाने की स्थिति में संबंधित त्रुटिकर्ता के साथ-साथ कार्यक्रम के आयोजकों के विरूद्ध भी कानूनी कार्यवाही की जायेगी।

वाहन रैली प्रतिबंधित, बाहरी व्यक्ति को रखने पर देनी होगी पुलिस को सूचना: आदेश में संपूर्ण जबलपुर जिले में दो पहिया वाहन रैली को भी पूर्णत: प्रतिबंधित किया गया है। साथ ही घरेलू नौकरों एवं व्‍यावसायिक नौकरों की सूचना संबंधित पुलिस थाने में विहित प्रारूप में देना अनिवार्य किया गया है। इसी प्रकार यदि किसी भी व्‍यक्ति द्वारा अपने मकान में किरायेदार या पेईंग गेस्‍ट रखने की सूचना भी निर्धारित प्रारूप में थाने में मकान मालिक को देना होगी। आदेश में कहा गया है कि कोई भी व्‍यक्ति अथवा संस्‍था या पशु मालिक अपने पशु को खुले तौर पर सड़कों पर न छोड़े और न ही सड़कों पर आने दें।

होटल, लॉज और धर्मशाला पर भी निगरानी: होटल, लॉज एवं धर्मशाल में रूकने वाले व्‍यक्तियों से पहचान पत्र लेना भी प्रतिबंधात्‍मक आदेश में अनिवार्य किया गया है। एवं यहां रूकने वाले व्‍यक्तियों की सूची निर्धारित प्रारूप में प्रतिदिन संबंधित पुलिस थाने को देना होगी।

सोशल मीडिया पर रहेगी कड़ी नज़र: प्रतिबंधात्‍मकआदेश में जिले के सम्‍पूर्ण राजस्‍व सीमा क्षेत्र में एक्स(ट्विटर), फेसबुक, व्‍हाटसएप जैसे सोशल मीडिया के सभी प्‍लेटफार्म परआपत्तिजनक, भडकाऊ अथवा उद्वेलित करने वाले फोटो, चित्र, आडियो, वीडियो, मैसेज करने पर भी रोक लगाई गई है। आदेश में सोशल मीडिया पर साम्‍प्रदायिक सद्भाव बिगाड़ने वाले अथवा भड़काऊ या आपत्तिजनक और उद्वेलित करने वाले चित्र, संदेश, वीडियो या आडियो को फारवर्ड करने, लाइक करने या उन पर कमेंट करने की गतिविधियों को भी प्रतिबंधित किया गया है।

प्रतिबंधात्‍मक आदेश का उल्‍लंघन होने पर भारतीय दण्‍ड संहिता की धारा 188 एवं अन्‍य समस्‍त प्रावधानों के अंतर्गत दोषी व्‍यक्ति अथवा व्‍यक्तियों पर कार्यवाही की जायेगी।

बीसों साल से चालीस फुट चौड़ी सड़क पर जमा अतिक्रमण सिस्टम को दे रहा है चकमा

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ठीक 17 साल पहले न्यायालय ने नगर निगम को दे दिया था इसे हटाने का अधिकार

“सिस्टम” एक ऐसा शब्द जिसके अंतर्गत देश की पूरी व्यवस्था समाहित है। चाय की चर्चाओं से लेकर टीवी चैनल्स की डिबेट्स तक इस शब्द का इस्तेमाल व्यापक अर्थों में भी किया जाता है। इस सिस्टम का हिस्सा देश का हर आम और खास नागरिक है। इन्हीं नागरिकों में से कुछ इस सिस्टम की खामियों का फ़ायदा भी उठाते हैं और कुछ इस सिस्टम से शोषित भी होते हैं।

जबलपुर के चेरीताल में हाल ही में विदेशी श्वान की प्रतिबंधित नस्ल पिटबुल की वजह से सिस्टम से जुड़ा बड़ा मामला चर्चा में आया। जिसमें सिस्टम की एक बड़ी खामी उजागर हुई। जिसके चलते न्यायालय द्वारा घोषित अतिक्रमण को हटाने के अधिकार नगर निगम को मिलने के बावजूद भी उसे अब तक हटाया नहीं जा सका। यही वजह है कि बीसों साल से एक पक्ष आने-जाने वाली सड़क पर कब्ज़ा करके बैठा है। जिससे कॉलोनी के रहवासियों और आने-जाने वालों को भारी असुविधा हो रही है लेकिन सिस्टम बस नोटिस और ज़ुबानी कार्यवाही करके सरकारी कागज़ और समय खर्च कर रहा है। समस्या अभी भी जस की तस है।

फाइल फोटो : सामने की ओर से

क्या है पूरा मामला – जबलपुर के चेरीताल क्षेत्र में स्थित सरस्वती कॉलोनी के रहवासियों ने आज से 18 साल पहले जबलपुर प्रशासन को अपनी ही कॉलोनी में बने एक अतिक्रमण की लिखित शिकायत दी। जिसमें मृतक रम्मू पटेल(तत्कालीन समय में जीवित) पर आरोप लगाते हुए उनके द्वारा 40 फ़ीट चौड़ी सड़क पर अतिक्रमण करना बताया था। ये मामला जब न्यायालय पहुँचा तो न्यायालय ने भी सरस्वती कॉलोनी के रहवासियों की शिकायत को सही पाते हुए नगर निगम जबलपुर को उस सड़क से अतिक्रमण हटाने के अधिकार दे दिए। ये आदेश आज से 17 साल पहले सितंबर माह में ही दिया गया था। जिस पर नगर निगम ने अतिक्रमणकारी को अतिक्रमण हटाने के आदेश दिए। लेकिन न तो अतिक्रमण उसके द्वारा हटाया गया और न ही नगर निगम उसे हटा सका। कोर्ट के आदेश को 17 साल पूरे होने के बाद भी ये सिस्टम का मुंह चिढ़ा रहा है।

फाइल फोटो : पीछे की ओर से

रहवासियों के लिए क्यूँ ज़रूरी है ये सड़क – 18 साल पहले दी गई लिखित शिकायत में कॉलोनी के रहवासियों ने इस अतिक्रमण को उस सड़क पर काबिज़ होना बताया है जो उनके क्षेत्र को दमोहनाका से सीधे-सीधे जोड़ती है और उनके क्षेत्र से मुख्य चौराहे की दूरी को काफी कम कर देती है। इस सड़क को रहवासियों ने महिलाओं, बुजुर्गों और बच्चों के लिए सुविधाजनक होना बताया है। बार-बार कार्यवाही टलने से रहवासियों ने न्याय होने की उम्मीद ही छोड़ दी। अतिक्रमणकारियों के डर से स्थानीयजन खुलकर विरोध भी नहीं करते।

कैसे आया मामला प्रकाश में – कुछ दिनों पहले अतिक्रमणकारी से जुड़े संपत्ति के एक मामले में दूसरे पक्ष द्वारा जब कोर्ट के आदेश पर मचकुरी को साथ लाकर संपत्ति का कब्ज़ा हासिल करना था। तब अतिक्रमणकारी कोर्ट के आदेश पालन की तारीख के दिन परिवार सहित गायब हो गया। और अपने पीछे उस संपत्ति में एक प्रतिबंधित विदेशी नस्ल का श्वान पिटबुल छोड़ गया। जिसकी वजह से पुलिसकर्मी और कोर्ट मचकुरी समेत अधिवक्ता और पीड़ित पक्ष पूरे दिन परेशान होते रहे। लेकिन कोर्ट के आदेश का पालन नहीं हो सका। जब इस मामले से संबंधित दस्तावेज़ जुटाए जा रहे थे तभी 40 फुट चौड़ी सड़क पर अतिक्रमण का मामला भी प्रकाश में आया।

अतिक्रमण कर सड़क पर बनाया गया शेड और कमरा ( हाल ही का फोटो – न्यायालय के अन्य आदेश पर अतिक्रमण से जुड़ी संपत्ति का कब्ज़ा लेने पहुँचा पीड़ित पक्ष, पिटबुल श्वान के उपस्थिति की वजह से नहीं हो पाया था आदेश का पालन)

पढिए इससे जुड़ी ख़बर यहाँ – विदेशी नस्ल के श्वान की वजह से नहीं हो सका न्यायालय के आदेश का पालन!

कोर्ट के आदेश और अतिक्रमण हटाने निगम के आदेश की लगातार नाफ़रमानी – अतिक्रमण हटाने के लिए नगर निगम कई वर्षों से नोटिस देने की कार्यवाही कर रहा है। जिसके बाद अतिक्रमणकारी कोई न कोई कागज़ी पेंच फँसाकर या बहाना देकर कार्यवाही की गति धीमी कर देते। कुछ सालों पहले मृतक रम्मू पटेल दिवंगत हो गए लेकिन उसके बाद भी उनके परिवार का कब्ज़ा उस सड़क पर बना हुआ है। जून 2016 में उनके पुत्र महेश पटेल ने नगर निगम के नोटिस का जवाब देते हुए अपने पिता की मृत्यु को कारण बताते हुए अतिक्रमण को हटाने के लिए दो सप्ताह का समय मांगा था। और आवेदन में ये भी लिख दिया कि अगर दो सप्ताह में वो अतिक्रमण नहीं हटा पाते तो निगम उस अतिक्रमण को तोड़ सकता है।

इस पूरे मामले में प्राथमिक मीडिया ने नगर निगम जबलपुर के अतिक्रमण अधिकारी सागर बोरकर से बात की तो उन्होंने कहा कि “पहले मामला देखना पड़ेगा और यदि ऐसा कुछ पाया जाता है तो अतिक्रमण हटा दिया जाएगा।”

वर्तमान फोटो

ठंडे बस्ते में धरी हुई है धरोहर योजना!

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जनसुनवाई एक ऐसी प्रक्रिया है जो हर सप्ताह नागरिकों के लिए अलग अलग विभागों में आयोजित की जाती है। जिसमें उन्हें अधिकारियों के समक्ष अपनी समस्या रखने का अवसर मिलता है। हर सप्ताह की तरह मंगलवार को कलेक्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक कार्यालय में जनसुनवाई हुई। जहाँ लोगों ने अपनी शिकायतें और समस्याएँ अधिकारियों के समक्ष रखीं।

किसी को मिला सुझाव, किसी को समाधान तो किसी को आश्वासन। इन शिकायतकर्ताओं में आज कुछ वरिष्ठ नागरिक भी पहुँचे, जिन्होंने अधिकारियों के सामने अपनी समस्याएँ रखीं।

जिस उम्र में ये बुजुर्ग शिकायत लेकर इन विभागों की सीढ़ियाँ चढ़ रहे हैं, उस उम्र में उन्हें शायद घर पर रहकर ही स्वास्थ्य लाभ लेना चाहिए और बारिश के इस मौसम में बाहर निकलने का जोखिम नहीं लेना चाहिए। लेकिन समस्याओं का कोई मौसम नहीं होता है। शायद इसलिए बुजुर्गों को कलेक्टर और एसपी के पास आकर गुहार लगाना पड़ रहा है।

हालांकि राज्य सरकार चाहे तो वरिष्ठ नागरिकों को कलेक्ट्रेट और पुलिस विभाग समेत अन्य कई विभागों के चक्कर लगाने से बचा सकती है। कैसे? इसका जवाब छुपा है अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल के सेंटर फॉर अर्बन गवर्नेंस में।

धरोहर योजना – एक अनुमान के मुताबिक प्रदेश में 60 लाख के लगभग वरिष्ठ नागरिक है। जिन्हें ध्यान में रखकर अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल के सेंटर फॉर अर्बन गवर्नेंस ने वर्ष 2021 में एक योजना का प्रारूप तैयार किया। जिसे नाम दिया गया धरोहर योजना – वरिष्ठ नागरिक द्वार प्रदाय योजना। जो घोषणा और क्रियान्वयन के इंतज़ार में है।

यदि ये योजना लागू होती है तो वरिष्ठ नागरिकों को नगर निगम, पुलिस विभाग, राजस्व विभाग जैसे अन्य विभागों से जुड़ी कुछ सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए इन दफ्तरों के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे। इन विभागों से जुड़ी सुविधाओं वरिष्ठ नागरिकों को घर बैठे प्राप्त होंगी।

क्या है इसका उद्देश्य – धरोहर योजना का मुख्य उद्देश्य वरिष्ठ नागरिकों के दैनिक जीवन यापन में आने वाली बुनियादी आवश्यकताओं, स्वास्थ्य संबंधी देखभाल, सुविधाओं, सार्वजनिक सेवाओं और इनके अलावा उनकी अन्य आवश्यकताएं, सुरक्षा, खुशी व स्वास्थ्य आदि के लिए आवश्यक बेहतर सुविधा उनके निवास पर ही उपलब्ध करवाई जा सकें। और उनके जीवन को खुशहाल, सुरक्षित, स्वस्थ, सरल व सुगम बनाने में उनकी सहायता की जा सके।

क्यूँ पड़ी आवश्यकता – कोरोना का असर सभी के जनजीवन पर पड़ा लेकिन वरिष्ठ नागरिक इससे ज्यादा प्रभावित हुए। क्यूंकि अधिकतर वरिष्ठ नागरिक या तो अकेले रहते हैं या फिर सेहत संबंधी समस्याओं का सामना कर रहे होते हैं। ऐसे में भोजन और स्वास्थ्य जैसी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वो किसी न किसी पर निर्भर रहते हैं। वरिष्ठ नागरिकों को कोरोना जैसी महामारी के समय भोजन, घरेलू उपयोगिताओं और स्वास्थ्य व स्वच्छता जैसी बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए भी काफी संघर्ष करना पड़ा था। कई वरिष्ठ नागरिक किराने का सामान और अन्य आवश्यक वस्तुओं को ऑनलाइन आर्डर देने के लिए भी तकनीकी रूप से सक्षम नहीं थे और न ही बाहर से खरीददारी करने के लिए घर से बाहर निकलकर मार्केट तक जाने का जोखिम ले सकते थे। वरिष्ठ नागरिकों के लिए वैसे कई योजनाएँ लेकिन कोरोना की महामारी के दौरान उनके लिए एकीकृत योजना की आवश्यकता देखी गई। इन सभी और संभावित समस्याओं के मद्देनजर बुजुर्गों/वरिष्ठ नागरिकों की देखभाल और सहायता के लिए स्थायी समाधान निकालने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान, भोपाल के सेंटर फॉर अर्बन गवर्नेंस ने “धरोहर योजना – वरिष्ठ नागरिक द्वार प्रदाय योजना” का प्रारूप तैयार किया।

इन दस विभागों से संबंधित सुविधाएँ घर पर ही मिलेंगी – इस योजना के तहत लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, राजस्व विभाग, सामाजिक न्याय विभाग, विधि एवं विधायी कार्य विभाग, नगर निगम/नगर पालिका/नगर पंचायत परिवहन विभाग, गृह विभाग, सूचना प्रोद्योगिकी विभाग, स्कूल शिक्षा विभाग, कौशल विकास उन्नयन, आनन्द विभाग और बैकिंग तथा पोस्ट ऑफिस विभागों से जुड़ी सुविधाएँ घर बैठे ही मिलेंगी।

केंद्र सरकार की है एल्डर हेल्प लाइन – केंद्र सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के लिए एल्डर हेल्पलाईन 14567 का संचालन किया जा रहा है। ये ऑल इंडिया टोल फ्री नंबर है जो कि सप्ताह के सातों दिन सुबह 8 से रात 8 बजे के बीच कार्य करता है। ये बहुत हद तक धरोहर योजना जैसा काम करती है। लेकिन धरोहर योजना के मुकाबले इसमें काफी कमियाँ हैं।

क्यूँ नहीं की गई है अब तक लागू – इस योजना का प्रारूप तो तैयार है लेकिन इसकी सार्वजनिक घोषणा अभी बाकी है। हालांकि इस योजना के प्रारूप में इसे लागू करने के लिए किसी अतिरिक्त खर्चे का भी ज़िक्र नहीं किया गया है। इसलिए ऐसा कहा जा सकता है कि राज्य सरकार की उदासीनता के चलते ये योजना पिछले दो वर्षों से ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। हालांकि राज्य सरकार द्वारा वरिष्ठ नागरिकों से जुड़ी अलग-अलग योजनाओं का संचालन किया जा रहा है जबकि धरोहर योजना उन योजनाओं का एकीकृत रूप है।

घरों का कचरा ना सड़क पर फेंकेंगे ना ही किसी को फेंकने देंगे

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SWACHHTA PLEDGE by jabalpur mayor jagat bahadur annu
SWACHHTA PLEDGE by jabalpur mayor jagat bahadur annu

विगत दिवस मित्र संघ द्वारा निगम के सहयोग से आयोजित स्कूली छात्र-छात्राओं की निबंध प्रतियोगिता के दो दिवसीय पुरस्कार वितरण समारोह में मानस भवन में 2 दिन में सम्मिलित हुए छात्र-छात्राओं ने आज स्वच्छता को लेकर शपथ ग्रहण की।

राज्यसभा सांसद विवेक तन्खा, महापौर जगत बहादुर सिंह ‘‘अन्नू’’, विधायक लखन घनघोरिया, अशोक ईश्वरदास रोहाणी, विनय सक्सेना, नगर निगम अध्यक्ष रिंकू विज, नेता प्रतिपक्ष कमलेश अग्रवाल ने छात्र-छात्राओं को शपथ दिलाई कि हम अपने घरों का कचरा ना सड़क पर फेंकेंगे ना ही किसी को फेंकने देंगे। हम अपने घरों का जिला कचरा एवं सूखा कचरा अलग-अलग डस्टबिन में रखेंगे और नगर निगम की गाड़ी में ही देंगे। यह शपथ भी छात्र-छात्राओं ने ली कि हम सिंगल यूज प्लास्टिक एवं प्रतिबंधित पॉलीथिन का प्रयोग नहीं करेंगे और ना ही करने देंगे तथा शॉपिंग हेतु कपड़े से बनी थैली का ही प्रयोग करेंगे। शपथ ग्रहण के पूर्व शालावार आयोजित निबंध प्रतियोगिता के दौरान निबंध लिखने वाले छात्र-छात्राओं से स्वच्छता का फीडबैक भी लिया गया। जिसमें छात्र-छात्राओं ने खुलकर अपनी राय भी दी।

पुराने कपड़ों के बदले नए बर्तन देने के बहाने पहले करते थे रेकी और फिर चोरी

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सूने घरों में पहले रेकी करना और फिर चोरी करना ये चोरों का आम तरीका है। रेकी करने के लिए चोर सामान्य वेश-भूषा में आपके क्षेत्र में आते हैं और फिर रात के अंधेरे में चोरी की वारदात को अंजाम भी दे देते हैं। ऐसे ही ढंग से चोरी करने वाले पाँच आरोपियों को जबलपुर पुलिस ने दंगल मैदान से गिरफ्तार किया। ये आरोपी शहर के अलग-अलग इलाकों में पुराने कपड़ों के बदले नए बर्तन देने के बहाने रेकी करते थे और मौका मिलते ही सूने मकान में हाथ साफ करने पहुँच जाते थे।  

पश्चिम बंगाल और उड़ीसा से आए ये लुटेरे बेलबाग स्थित दंगल मैदान के पास लंबे समय से रह रहे हैं। पिछले दस वर्षों से इन्होंने किराये के मकान में रहते हुए स्थानीय पते के साथ आधार कार्ड भी बनवा लिया। इन्होंने न सिर्फ जबलपुर बल्कि सिवनी, होशंगाबाद और भोपाल में भी बड़ी वारदातों को अंजाम दिया है। इन वारदातों से जुड़े पाँच लोगों को लॉर्डगंज पुलिस और क्राइम ब्रांच ने संयुक्त कार्यवाही करते हुए रोनी, फिरोज़, आरिफ़, शुभो और राजू को गिरफ्तार किया। इन सभी की उम्र 30 वर्ष से कम बतायी जा रही है। पूछताछ करने पर इन पाँच आरोपियों ने लॉर्डगंज, आधारताल, विजयनगर, सिवनी और होशंगाबाद में कुल 12 नकबजनी घटनाओं में सोना-चांदी के ज़ेवर चुराने की बात स्वीकार की है। इन सभी घटनाओं को सूने मकानों का ताला तोड़कर अंजाम दिया गया। पुलिस ने इन आरोपियों से विदेशी मुद्रा और लगभग पाँच लाख रुपये की सोना-चांदी भी बरामद की है। एसपी जबलपुर तुषार कान्त विद्यार्थी(भापुसे) के मुताबिक इन आरोपियों को पकड़ने और पूछताछ करने में प्रतीक्षा मार्को थाना प्रभारी लॉर्डगंज, उप निरीक्षक दिनेश गौतम यादव कालोनी चौकी प्रभारी, प्रधान आरक्षक राजीव सिंह, आरक्षक विजय, रूपेश, वीरेंद्र, मानवेंद्र, अनुराग, सैनिक सौरव शुक्ला, क्राइम ब्रांच के सहायक उप निरीक्षक धनंजय सिंह, सहायक उप निरीक्षक अशोक मिश्रा ने उल्लेखनीय भूमिका निभायी।

दिव्यांगों को मिले इलेक्ट्रिक वाहन, हज़ारों लोगों को शिविर में मिला स्वास्थ्य लाभ

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डिंडौरी – शहपुरा तहसील के ग्राम बरगांव स्थित जनजातीय कल्याण केंद्र महाकौशल, में उपस्थित दिव्यांगजनो और स्वास्थ्य लाभार्थियों के चेहरे पर राहत साफ देखी जा सकती थी क्योंकि जंहा दिव्यांगजनो को इलेक्ट्रिक वाहन मिलने से उनकी तकलीफ कुछ कम हुई तो वंही मुफ्त स्वास्थ परामर्श और दवाएं मिलने से लाभार्थियों में खुशी थी ।

डिंडौरी के बरगवां गाँव में रविवार दस सितंबर के दिन विशाल निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर में ज़िले के 7 से 8 हज़ार मरीज़ों ने जांच और चिकित्सा का लाभ लिया।
कार्यक्रम की शुरुआत भारतमाता, जननायक बिरसामुण्डा और रानी दुर्गावती के चित्रों पर माल्यार्पण करके की गई। इसके पश्चात मंत्रोच्चारण करके आयोजन को निर्विघ्न सम्पन्न करने की प्रार्थना के साथ आयोजकों, अतिथियों और चिकित्सकों को तिलक करके शिविर का शुभारंभ किया गया।
इस शिविर में अस्थि रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ, दंत चिकित्सकों के अलावा अन्य चिकित्सकों ने भी सेवाएँ दीं। शिविर में दिव्यांगो को इलेक्ट्रॉनिक वाहन भी वितरित किये गये। इस निःशुल्क स्वास्थ्य शिविर में जबलपुर और रीवा मेडिकल कॉलेज के चिकित्सकों ने अपनी सेवाएँ दीं।

इस दौरान कार्यक्रम में शामिल हुए सी ए राजेश जैन सहित अन्य लोगों ने संस्था की ही गौशाला में भी अपनी सेवाएँ दीं। इस आयोजन में आयुक्त निःशक्तजन संदीप रजक, नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर की अधिष्ठाता डॉ गीता गुईन, अस्थि रोग विशेषज्ञ डॉक्टर जितेंद्र जामदार, शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ विजय प्रताप सिंह इत्यादि मौजूद रहे। एवं इस वृहद आयोजन को सफल बनाने में राघवेंद्रजी, सीए राजेश जैन, अध्यक्ष मनोहर लाल साहू, सचिव दिग्विजय सिंह, विक्रमसिंह, जामसिंह एवं स्थानीयजनों का विशेष योगदान रहा।

माँ नर्मदा के तट पर हुआ कृष्ण जन्मोत्सव

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प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय

मॉ नर्मदा तट में प्रजापिता ब्रम्हाकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा जन्माष्टमी के शुभअवसर पर श्री कृष्ण के शैशवास्था, बाल्यावस्था तथा युवावस्था तथा माता यशोदा मथनी से मक्खन निकालते हुए भव्य झांकी का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर संस्था की संचालिका ब्र.कु. संगीता बहन ने कहा कि अपना भारत देश त्योहारों का देश है। यह त्योहार अपने जीवन में अलौकिक आध्यात्मिक परिवर्तन यह संदेश देकर जाता है। प्रतिवर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी को भक्तिमय भावभीनी मनोदय के साथ मनाते है। जिसमें मानवीय मूल्यों को कैसे जीवन में समाहित करके जीवन जीने तथा मूल्य निष्ठ समाज की स्थापना में आध्यात्मिकता जड़ का कार्य करेगी। इस कार्यक्रम को विधिपूर्वक अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्जवलित किया गया।
चैतन्य देवियों की झांकी जिसमे राधा, कृष्ण, बलराम, गोपिकाएं बनी जिसमे भाग लेने वाले बच्चों में श्री कृष्ण परी वैश्य, राधा अनन्या पांडे, नमामि वैश्य, अन्वी चौरसिया, गुल चौरसिया बने
श्रेया और प्रथा ने गरबा डांस किया संध्या सोनी, लक्ष्मी पाराशर, मोती यूके, नीलू पाठक, अंजली पाठक, सपना जैन, हिना अग्रवाल, सतीश भाई, सपना बहन, पदमा माता, मनोज भाई, संध्या बहन, संजू बर्मन, सुचित्र भाई, शिखा बहन सैकडो की संख्या में भाई बहने उपस्थित थे

असमाजिक तत्वों ने फाड़े डिवाइडर के बीच लगे कॉंग्रेसियों के पोस्टर

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कांचघर क्षेत्र में पोस्टर की जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। अभी कुछ दिनों पहले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की जन दर्शन यात्रा के बाद उनके स्वागत में लगे पोस्टर्स को जब उनके समर्थकों ने नहीं हटाया, तो नगर निगम कर्मियों को सड़क डिवाइडर्स पर से उन पोस्टर्स को आधी रात में हटाना पड़ा। जिसके बाद विधायक लखन घनघोरिया के नई उड़ान कार्यक्रम के पोस्टर लग पाए।

लेकिन अब पोस्टर की जंग से जुड़ा हुआ एक नई घटना सामने आयी है जिसमें कांचघर चौराहे से लेकर चुंगी चौकी के बीच लगे जन्माष्टमी पर्व के पोस्टर फटे हुए पाए गये हैं। जिसकी सूचना मिलते ही क्षेत्रीय विधायक लखन घनघोरिया ने घमापुर थाने पहुंचकर थाना प्रभारी से इसकी शिकायत की। उन्होंने शिकायत करते हुए कहा कि “परसों रात को कांचघर चौराहे से लेकर चुंगी चौकी के बीच लगे जन्माष्टमी पर्व के पोस्टर किसी ने नुकीली या धारदार चीज़ से फाड़ दिए हैं। पुलिस सीसीटीवी फुटेज देखकर पोस्टर फाड़ने वाले दोषियों को पता करके उन पर कार्यवाही करें। क्यूंकि चुनाव का संवेदनशील समय है। यदि ये स्थितियाँ आगे विकराल हुई तो उसका नुकसान शहर को ही होगा।” पिछले दिनों हुए नई उड़ान कार्यक्रम के पूर्व पोस्टर हटाने और लगाने की घटना का जिक्र करने पर उन्होंने इन्साइट इंडिया और प्राथमिक मीडिया के नील कमल तिवारी से बिना किसी का नाम लिए कहा कि “पोस्टर हटाना-नहीं हटाना, हठधर्मिता अलग बात है। किसी को सम्मान दें या न दें ये आपके अधिकार में है किन्तु किसी का अपमान करना आपके अधिकार में नहीं है। पोस्टर फाड़ना ये आपके अधिकार में नहीं है।”

इस बारे में जब घमापुर थाना प्रभारी ब्रजेश मिश्रा से जानकारी ली गई तो उन्होंने कहा कि यदि किसी असामाजिक तत्व का हाथ इसमें पाया जाता है तो कार्यवाही अवश्य की जाएगी क्यूंकि किया किसने है ये अभी जांच का विषय है। विदित हो कि जन्माष्टमी पर्व के उपलक्ष्य में शहर में जगह-जगह राजनीतिक दलों द्वारा बधाई संदेश देने के लिए पोस्टर लगाए जाते हैं। कॉंग्रेस समर्थक और कार्यकर्ताओं द्वारा लगाए गए इन पोस्टर्स में उनके सहित महापौर जगत बहादुर अन्नू, विधायक लखन घनघोरिया समेत कॉंग्रेस के पूर्व मुख्यमंत्री और मध्य प्रदेश काँग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष कमलनाथ और राज्यसभा संसद विवेक तन्खा के फोटो भी लगे हुए हैं।

विदेशी नस्ल के श्वान की वजह से नहीं हो सका न्यायालय के आदेश का पालन!

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शनिवार को जबलपुर में एक अवैध कब्ज़े को छुड़ाने के उद्देश्य से न्यायालय के आदेश पर पहुँचे अमले को पिटबुल ने दिन भर आदेश का पालन करने से रोककर रखा। दरअसल चेरीताल सरस्वती गार्डन गृह निर्माण सोसाइटी, पारिजात बिल्डिंग के पीछे एक अवैध कब्ज़ाधारी से मकान के कब्ज़े को मुक्त करवाने के लिए न्यायलय के कर्मचारी समेत पुलिस, अधिवक्ता और आवेदकगण पहुँचे। लेकिन अवैध कब्ज़ाधारी पहले ही वहाँ से परिवार समेत गायब हो गया और अपने पीछे उस मकान में छोड़ गया एक विदेशी नस्ल का श्वान। न्यायालय के आदेश पर पहुँचे लोग श्वान को हटाने की युक्ति लगा ही रहे थे कि इस बीच एक स्थानीय नेता भी वहाँ पहुंचकर मौजूद शासकीय कर्मियों और अधिवक्ताओं से तर्क-वितर्क करने लगे। इस गहमागहमी में एक डॉग ट्रेनर को बुलाया गया जिसने व्यस्क पिटबुल श्वान को बेहद खतरनाक बताते हुए पकड़ने से इनकार कर दिया। पुलिस प्रशासन और कोर्ट से आये कर्मचारी सुबह से शाम तक कार्यवाही को अंजाम देने के लिए मशक्कत करते रहे लेकिन वे कोर्ट के आदेश के बावजूद भी कब्ज़ा दिलाने में असमर्थ रहे और पंचनामा बनाकर वापिस लौट गए।

शनिवार को दिन भर चले इस घटनाक्रम ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं, कि जिस प्रजाति के श्वान पर 41 देशों में प्रतिबंध लगा है और कई घटनाओं में जिसने मालिक तक को मौत के घाट उतार दिया, उसे पालने का लाइसेंस अवैध कब्ज़ाधारी को कैसे मिला, और अगर निगम ने लाइसेंस नही दिया है तो इस प्रजाति का श्वान जो आसपास के लोगों के लिए भी खतरा है, वो यहाँ तक पहुँचा कैसे?

इसके अलावा कार्यवाही करने पहुँचे दल को कथित स्थानीय नेता ने जो पुराना स्टे आर्डर दिखा कर भ्रमित करने की कोशिश की, उन पर “शासकीय कार्य मे बाधा” डालने पर भारतीय दंड संहिता की धारा 186 के तहत कार्यवाही क्यूँ नहीं की गई जो कि अक्सर पत्रकारों पर थोप दी जाती है।