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मंगलवार, अक्टूबर 29, 2024
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कोरोना योध्दा की भूमिका में स्टाफ नर्स विनीता एफ्रॉईम कोविड-19 के एच.डी.यू. वार्ड में पॉजिटिव मरीजों के बीच रहकर लगातार दे रही हैं अपनी स्वास्थ्य सेवायें

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छिंदवाड़ा, कोविड-19 कोरोना वायरस के संक्रमण की दूसरी लहर से वर्तमान में लगभग पूरा प्रदेश जूझ रहा है। विशेषकर बड़े और महाराष्ट्र बार्डर से लगे हुये जिलों में शासन-प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग का अमला और आम जन संक्रमण से बचाव का लगातार प्रयास कर रहे हैं । देश भर के साथ ही प्रदेश में नोवल कोरोना वायरस (कोविड-19) के संक्रमण से बीमारी की रोकथाम एवं बचाव के लिये हमारे कोरोना फाइटर्स दिन रात जान की बाजी लगा रहे हैं। इनमें छिन्दवाड़ा जिले के कोरोना फाइटर्स भी पीछे नहीं हैं, बल्कि पूरी लगन और निष्ठा से कोरोना संक्रमण की इस दूसरी लहर से जंग में भी योध्दा की भूमिका निभा रहे हैं। इन्ही में से एक स्टाफ नर्स विनीता एफ्रॉईम है, जो कोरोना के पॉजिटिव मरीजों के बीच में रहकर लगातार अपनी स्वास्थ्य सेवायें देते हुये समर्पित कोरोना योध्दा की भूमिका निभा रही हैं। उनके द्वारा निष्ठापूर्वक किये जा रहे कोरोना के पॉजिटिव मरीजों के बीच में रहकर लगातार अपनी स्वास्थ्य सेवायें देने के जोखिम भरे कार्य के लिये उनकी सर्वत्र सराहना की जा रही है और स्वास्थ्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें बधाई दी है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.जी.सी.चौरसिया ने बताया कि जिला चिकित्सालय के तीसरे तल पर कोविड-19 के एच.डी.यू. वार्ड में विगत एक वर्ष से स्टाफ नर्स श्रीमती विनीता एफ्रॉईम कोरोना के पॉजिटिव मरीजों के बीच में रहकर निरंतर अपनी स्वास्थ्य सेवायें प्रदान कर रही हैं । विनीता द्वारा अत्यंत जोखिम भरा कार्य भी पूरी निष्ठा और समर्पण से किया जा रहा है जिसके परिणामस्वरूप कई संक्रमित मरीज स्वस्थ होकर अपने घर को लौट रहे हैं। अपनी ड्यूटी के दौरान वे कोविड-19 के पॉजिटिव मरीजों से उनकी समस्या पूछती हैं और उन्हें परामर्श देकर उनका मनोबल बढ़ाने का कार्य भी करती हैं। स्टाफ नर्स एफ्रॉईम के परिवार में उनके पति संदीप एफ्रॉईम, उनकी वृद्ध माँ और सास तीनों कोरोना से संक्रमित है और उनके घर में 14 वर्ष की उनकी बेटी अकेली है। इसके बावजूद भी उनके द्वारा परिवार के लोगों को संक्रमण से बचाने के साथ ही अपने घर पर कोविड-19 के पूरे प्रोटोकॉल का पालन करते हुये निरंतर पूर्ण निष्ठा एवं सेवाभाव से कोविड-19 के पॉजिटिव मरीजों को स्वास्थ्य सेवायें देने का सराहनीय कार्य कर रही हैं ।

बिना वजह घूम रहे 71 लोगों को भेजा गया अस्थाई जेल, कोविड मानकों का उल्लंघन करने वालों से वसूला 1 लाख 48 हजार 600 रुपए जुर्माना

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1467 व्यक्तियों पर चालानी कार्रवाई करते हुए 1 लाख 48 हजार 600 रुपए जुर्माना वसूला गया

जबलपुर, पिछले कुछ दिनों से कोरोना वायरस संक्रमण के बढते प्रकरणों को ध्यान में रखते हुये कोविड-19 की गाईड लाइन का कड़ाई से पालन कराने हेतु एवं कोरोना संकमण की चेन को ब्रेक करने हेतु मध्य प्रदेश शासन के निर्देशानुसार जबलपुर जिले में दिनाॅक 12 अप्रैल से आदेशित लाॅकडाउन का कड़ाई से पालन कराने हेतु पुलिस अधीक्षक जबलपुर सिद्धार्थ बहुगुणा (भा.पु.से.) के आदेशानुसार पूरे शहर एवं देहात मे 48 फिक्स प्वाईट लगाये गये एवं 36 थाना मोबाईल एवं 42 एफ.आर.व्ही. मोबाईल तथा 36 चीता मोबाईलों के अलावा 36 अतिरिक्त मोबाईलें लगायी गयी हैं।

आज दिनाॅक 15 अप्रैल को प्रातः से शाम 5 बजे तक कोरोना गाईड लाईन का उल्लंघन कर बिना वजह घूम रहे 71 लोगों को अस्थाई जेल में निरूद्ध कराया गया एवं 23 के विरूद्ध 188 भादवि के तहत कार्यवाही की गयी तथा मुंह पर मास्क न लगाने एवं सोशल डिस्टेंस का पालन न करने वाले 1467 व्यक्तियों पर कार्रवाई करते हुए 1 लाख 48 हजार 600 रुपए समन शुल्क फाइन किया गया है। कार्यवाही अभी निरंतर जारी है।

पुलिस अधीक्षक जबलपुर ने की अपील – एसपी सिद्धार्थ बहुगुणा ने जबलपुर संस्कारधानीवासियों से अपील की है कि फैल रहे कोरोना वायरस के संक्रमण एवं वर्तमान परिस्थितियों को दृष्टिगत रखते हुये कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये सावधानी बरतने की आवश्यकता है, कोरोना के संकमण की चेन को ब्रेक करने हेतु हर व्यक्ति का यह विशेष दायित्व है कि कोरोना प्रोटाकाॅल का सख्ती से पालन करते हुये जरूरी कार्य होने पर ही घर से बाहर निकलें, बच्चों और बुजुर्गो को अनावश्यक घर से बाहर न जाने दें, जब भी घर से बाहर निकलें मास्क अनिवार्य रूप से लगाये, फिजिकल डिस्टेंस दो गज की दूरी के नियम का कडाई से पालन करें, भीड का हिस्सा न बनें, समय समय पर हाथ को साबुन पानी से धोयें एवं सैनेटाईज करें, सर्दी, खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ होने जैसे लक्ष्ण होने पर निकटतम फीवर क्लीनिक में जाकर जांच करायें।

सोने के नकली बिस्किट का सौदा कर 14 लाख 70 हजार रूपये की ठगी के चार आरोपी गिरफ्तार

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जबलपुर, थाना विजय नगर में 13 अप्रैल को मुकुल पटेल निवासी अम्बेडकर कालोनी ने शिकायत करते हुए बताया कि कि कुछ समय पूर्व उसके पास अहमदाबाद निवासी जगदीश मोनानी ने काॅल करके बताया कि उसका भी सोने का व्यापार है, और वो उसे कम भाव में सोना दे सकता है। शिकायत दर्ज करवाने की सुबह 8 बजे काॅल पर जगदीश ने उसे बताया कि वो जबलपुर में है और उसके पास 1 किलो 900 ग्राम सोना है। जो वो उसे 14 लाख 70 हजार में दे सकता है। मुकुल वाटेल ने अपने रिश्तेदारों से उधार लेकर 14 लाख 70 हजार रूपये का इंतजाम किया और सुबह 11 बजे जगदीश के पास पैसा लेकर दीनदयाल चौक, नेमा हास्पिटल के बाजू में पहुँचा। जहाँ उसे 2 बैग में सोने के 19 बिस्किट दिए गए। उसने बदले में 14 लाख 70 हजार रूपये दिए और वहाँ से निकल गया। बाद में जब मुकुल ने सोना चेक किया तो पूरा सोना नकली निकला। इसके बाद मुकुल पटेल ने विजय नगर थाना पहुँचकर जगदीश मोनानी द्वारा उसके साथ की गई धोखाधड़ी की रिपोर्ट दर्ज करवाई। जिस पर तत्काल नकली सोने के 19 बिस्टिक जप्त करते हुये शिकायत पर धारा 420, 34 भादवि का अपराध पंजीबद्ध कर प्रकरण विवेचना मे लिया गया।

नगद 14 लाख 60 हजार रूपये एवं एसेंट कार तथा सोने के नकली 19 बिस्किट जप्त

घटना की जानकारी पाकर पुलिस अधीक्षक जबलपुर सिद्धार्थ बहुगुणा (भा.पु.से.) द्वारा आरोपियों की शीघ्र गिरफ्तारी हेतु आदेशित किये जाने पर अति. पुलिस अधीक्षक (दक्षिण/अपराध) गोपाल खांडेल एवं नगर पुलिस अधीक्षक गढ़ा/उप पुलिस अधीक्षक मुख्यालय तुषार सिंह के मार्गदर्शन में थाना प्रभारी विजय नगर सोमा मलिक के नेतृत्व में थाना विजय नगर एवं क्राईम ब्रांच की टीम गठित कर आरोपियों की पतासाजी हेतु लगायी गयी। गठित टीम के द्वारा सीसीटीव्ही फुटेज खंगाले गये जिसके आधार पर आरोपियों का सफेद रंग की एसेंट कार से भागना पाया गया, वायरलेस सैट के माध्यम से घटित हुई घटना एवं फरियादी के बताये हुलिये के व्यक्तियों को जो कि एसेंट कार में सवार थे के सम्बंध मे शहर एवं देहात के थानों को बताते हुये सरहदी जिले कटनी, दमोह, उमरिया, सिवनी, मण्डला, डिण्डोरी, सागर तथा सतना बताया गया। इस दौरान मुखबिर की सूचना पर घेराबंदी कर स्कीम न. 41 बसा गाॅव रोड के पास एसेंट कार क्रमांक एमएच 04 जेयू 5666 को पकडा गया कार में 4 लोग जगदीश मोनानी पिता मनसुख लाल मोनानी उम्र 35 साल, पीरजादा एम. सादिक पिता फकीर मोहम्मद उम्र 36 साल, जाकिर हुसैन खान पिता मोहम्मद हुसैन खान उम्र 40 साल एवं चालक मोहसीन दस्तयाबी शेख पिता दस्तगीर शेख उम्र 25 साल पाए गए। इनमें से दो गुजरात और दो महाराष्ट्र के निवासी हैं। चारो को अभिरक्षा मे लेकर थाना लाया गया एवं सघन पूछताछ की गयी तो सोने के नकली 19 बिस्किट जिनका वजन 1 किलो 900 ग्राम देकर सराफा व्यवसायी से 14 लाख 70 हजार रूपये लेकर ठगने की बाद स्वीकार की। चारों के कब्जे से 14 लाख 60 हजार रूपये बरामद किए गए। वारदात में इस्तेमाल एसेंट कार एमएच 04 जेयू 5666 को जप्त करते हुये चारों आरोपियों को गिरफ़्तार कर न्यायालय में पेश करते हुये आगे की पूछताछ के लिए रिमाण्ड पर लिया जा रहा है।

आरोपियों को पकड़ने में इन पुलिसकर्मियों की उल्लेखनीय भूमिका रही – ठगी करने वाले चारों आरोपियों को पकडने में थाना प्रभारी विजयनगर श्रीमति सोमा मालिक, उप निरीक्षक अभिषेक कैथवास, करण सिंह चैधरी ,सउनि बेनीराम उइके , सउनि बी.एल. ठाकुर , आरक्षक विनय सिंह, बलराम वरकडे, शरद सिंगौर, महिला आरक्षक गरिमा पाण्डेय, संघमित्रा की भूमिका सराहनीय भूमिका रही ।

जनप्रतिनिधियों की जवाबदेही तय करने का वक़्त यही है

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लगभग चार दिन पहले शाम को मेरे स्वर्गीय मामा जी के बेटे रोहित का फ़ोन मेरे पास आता है, वो पूछता है “भैया, जबलपुर में बेड मिल जाएगा?” (कोरोना महामारी के दौरान इस सवाल का मतलब होता है कि क्या अस्पताल में वेंटीलेटर मिल पायेगा?”), मैंने कहा – पता करना पड़ेगा, क्यूंकि कल ही रोशन (मेरा मित्र जो पेशे से फ़िज़िओ है) ने मुझे बताया कि जबलपुर में एक भी बेड खाली नहीं था. फिर मैंने उससे पूछा – क्या हुआ? तो उसने बताया कि उसकी दोस्त रिया(परिवर्तित नाम) की 55 वर्षीय माता जी सिवनी के अस्पताल में भर्ती थीं, जहाँ ऑक्सीजन सिलेण्डर न होने की वजह उनसे कहा जा रहा है कि आप इन्हें कहीं और लेकर जाईये क्यूंकि इन्हीं कोरोना है और इन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ सकती है. उनकी बॉडी में ऑक्सीजन लेवल उस समय 85 के लगभग है.” ये कथन मेरी चिंता बढ़ाने के लिए काफ़ी था. बस यहाँ से कवायद शुरू हुई कि उन्हें ऑक्सीजन सिलेण्डर के साथ-साथ एक वेंटीलेटर उपलब्ध करवाने की. जिसमें मैं, मेरा भाई रोहित, मेरा मित्र रोशन लग जाते हैं. थोड़ी देर में तय होता है कि सिवनी से जबलपुर नज़दीक है, उन्हें यहाँ एम्बुलेंस के ज़रिये लाया जा सकता है. लेकिन वेंटीलेटर की उपलब्धता अब भी एक समस्या है. रोशन इस वक़्त शहडोल में है वो जबलपुर में एक एम्बुलेंस चालक से बात करके उसका नम्बर उपलब्ध करवाता है और उसे निर्देश देता है कि वो अपने वाहन में ऑक्सीजन सिलेण्डर लेकर सिवनी की तरफ चलना शुरू करे और रिया अपनी माता जी को सिवनी से लेकर निकले. धूमा पहुँचकर रिया के माँ को जबलपुर से भेजी गयी एम्बुलेंस में शिफ्ट करके उन्हें ऑक्सीजन लगा दी जायेगी और मेरे दोस्त की माँ जो नर्स हैं उनकी सलाह पर वो जबलपुर में आदर्श नगर स्थित एक अस्पताल में भर्ती करवाई जायेंगी(वहाँ अभी एक बेड खाली है लेकिन वेंटीलेटर की समस्या यहाँ भी है). इस सबके बीच में लगभग 28 वर्षीय रिया अपनी माँ के साथ अकेली है. उसने काफ़ी हिम्मत बाँधी हुई है और जब तक ऑक्सीजन नहीं मिल पा रही थी उसने रोशन के निर्देश पर अपनी माँ को गहरी-गहरी साँस भरने के लिए कहा. ताकि फेफड़ों में प्राणवायु पहुँच सके और स्थिति संभाली जा सके. रात को लगभग 11:30 पर रिया जबलपुर पहुँचती है और अपनी माँ को जबलपुर स्थित उस अस्पताल में भर्ती करती है. जहाँ उनका चेक अप, सीटी स्कैन वगैरह और बाक़ी चीज़ें होती हैं. अस्पताल प्रबंधन उसके पास सीजीएचएस कार्ड होने के बावजूद अस्पताल की मुख्य शाखा में पचास हज़ार रुपये जमा करवाने के लिए कहता है. मुझे लगता है कि शायद अब सब कुछ ठीक हो जाएगा. लेकिन रात अभी शुरू ही हुई थी. लगभग एक-डेढ़ घंटे बाद सीटी स्कैन की रिपोर्ट आती है और रिया का फ़ोन मेरे पास आता है कि अस्पताल वाले कह रहे हैं कि उसकी माँ के लिए अन्य अस्पताल ढूँढा जाए. वो वहाँ के डॉक्टर से मेरी बात फोन पर करवाती है. डॉक्टर के मुताबिक़ यदि मरीज़ के फेफड़े काफ़ी संक्रमित हो चुके हैं. और यदि उनको एक घंटे बाद वायेऍफ़ऍफ़ की आवश्यकता पड़ती है और वो खाली नहीं मिलता है तो शायद तब तक देर हो जायेगी. देर होने का मतलब किसी अनहोनी से है. इसलिए वो कहता है कि मैं आपको इसलिए अभी से बता रहा हूँ ताकि आप समय से पहले व्यवस्था कर लें. मैं रिया को आश्वासन देता हूँ कि हम लोग कुछ करते हैं. मैं रोशन से बात करता हूँ कि हम फिर शून्य पर आकर खड़े हो गए हैं. वो शासन द्वारा जारी वेबसाइट में बेड्स की स्थिति देखता है लेकिन इस आँकड़े पर भरोसा करना मुश्किल है. क्यूंकि जिन अस्पतालों में बेड्स ख़ाली दिखा रहा है वहाँ बेड्स नहीं हैं. इस बात की तस्दीक थोड़ी देर बाद हो जाती है. जब मैं ख़ुद उसमें मौजूद रज़ा फेसिलिटी पर कॉल करता हूँ और वो बताते हैं कि उनका अस्पताल तो अभी शुरू भी नहीं हुआ ही और उन्हें पता भी नहीं है कि उनका नम्बर किसी वेबसाइट पर डाला गया है. इसके अलावा सुख सागर मेडिकल के जो नम्बर डाले गए हैं उसमें एक नम्बर शाम से बंद है और दूसरा कोई उठा नहीं रहा है. ये अस्पताल शहर से लगभग 15-20 किलोमीटर दूर है. इस दौरान और अस्पतालों में मेरी बात होती है लेकिन कहीं पर भी बेड उपलब्ध नहीं हैं. रिया से मैं दुबारा बात करके उसे स्थिति के बारे में अवगत करवाता हूँ, उसकी आवाज़ काँप रही है. वो रोने लगती है. मैं उसे हिम्मत बाँधने को कहता है. मेरे एक मित्र की माता जी जो पेशे से नर्स हैं, उनकी सलाह पर मैं रिया को उसकी माँ को लेकर ट्रू केयर हॉस्पिटल जाने के लिए कहता हूँ, जहाँ ऑक्सीजन मौजूद है लेकिन वेंटीलेटर नहीं. रात के 3-3:30 बजे होंगे. रिया को अस्पताल प्रबंधन आश्वासन देता है कि वे उसकी माँ का बेहतर से बेहतर इलाज करेंगे. वहाँ मौजूद कुछ लोग बताते हैं कि 70 प्रतिशत फेफड़े डेमेज होने के बाद भी काफ़ी केसेज़ इस हॉस्पिटल में सम्भाले जा चुके हैं. हालाँकि वहाँ मौजूद डॉक्टर से जब रिया ने मेरी बात करवाई तब डॉक्टर ने सलाह दी कि इनके बचने के चांसेज 30 से 40 प्रतिशत हैं क्यूंकि फेफड़े काफ़ी ख़राब हालत में हैं. इसके बाद भी अगर आप चाहें तो हम इनकी देखभाल कर सकते हैं. रिया और मेरे पास कोई विकल्प मौजूद नहीं था. क्यूंकि कोई भी अस्पताल इनकी नाज़ुक स्थिति में केस लेने के लिए तैयार नहीं होता है. रिया की माँ को भर्ती कर दिया गया लेकिन उसके बाद भी मैं बेड की तलाश करता रहा. मैंने रात को 3:30-3:45 के बीच स्थानीय covid कण्ट्रोल रूम में कॉल किया. उन्होंने फ़ोन उठाया. उनके पास भी वही चार्ट था जो मैं देख रहा था. उनके मुताबिक बेड उपलब्ध हैं लेकिन मैंने उन्हें कहा कि ज़्यादातर जगह मैं कॉल कर चुका हूँ. आप भी अपनी कोशिश करके देख लें. उन्होंने कॉल करके देखा और उन्हें भी असफलता हाथ लगी. विक्टोरिया हॉस्पिटल में उन्होंने कॉल किया तो वहाँ जिसने फ़ोन उठाया उसने कहा कि ICU के बेड्स भरे हुए वेंटीलेटर खाली है. इसका मतलब ये है कि ICU में किसी को ज़रूरत होगी तो वो लगा दिया जाएगा लेकिन उसके लिए ICU में भर्ती होना पड़ेगा. काफ़ी देर मशक्कत करने के बाद कुछ भी हासिल नहीं हुआ. मेरी नींद उड़ी हुई थी, मैंने सुख सागर मेडिकल हॉस्पिटल जाने का मन बनाया, क्यूंकि वहाँ के सारे नम्बर जो इन्टरनेट पर मौजूद थे वो बंद हो चुके थे और अन्य नम्बर पर कोई जवाब नहीं दे रहा है. मैंने मेरी दोस्त की माँ जो नर्स हैं उन्हें कॉल किया और कहा कि मैं सुख सागर जाकर बेड का पता लगाता हूँ. उन्होंने कहा कि वो पहले ही पता कर चुकी हैं, कहीं भी बेड उपलब्ध नहीं हैं. और उनकी बात ट्रू केयर हॉस्पिटल में हुई है, रिया की माँ की हालत पहले से बेहतर है. ऑक्सीजन लगी हुई और वो स्टेबल हैं. उन्होंने कहा कि अगर आवश्यकता पड़ेगी तो बेड के लिए सुबह फिर से ख़ोजबीन शुरू की जायेगी और शायद दोपहर तक बेड मिल भी जाए. उसने बात करके मुझे थोड़ी राहत मिली. मैं सुबह 4 बजे के लगभग सो गया. मेरी नींद सुबह 9 बजे खुली. रिया के 6 मिस्ड कॉल थे. उससे बात की तो उसने बताया कि डॉक्टर अभी तक राउंड पर नहीं आये हैं लेकिन अभी उनकी हालत ठीक है. क्या उन्हें अभी भी दूसरे हॉस्पिटल ले जाना चाहिए. मुझसे बात करने के दौरान ही डॉक्टर वहाँ पर आये और उन्होंने उनकी हालत देखकर बताया कि वो अब खतरे से बाहर हैं. दोपहर होते-होते उन्हें दूसरे वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. यानि अब उनके हालत ख़तरे से बाहर है. अस्पताल में ही उन्हें रेम्डेसिविर इंजेक्शन भी उपलब्ध करवा दिया गया. जो कल तक ख़त्म हो चुका था. इस पूरी भागदौड़ में कल रिया भूखी रह गयी थी. आज उसने खाना खाया तो उसे एसिडिटी हो गयी. जिसकी दवाई वो ले रही थी. मैंने उसे अपनी माँ को प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट करने के लिए कहा जहाँ वो भी आराम कर सके. चूँकि वो पूरे समय अपनी माँ के साथ रही इसलिए सतर्कता के तौर पर उसे हमने कुछ दवाईयाँ उपलब्ध करवाईं जो उसे covid से लड़ने में साथ देंगी.

इस घटना के बारे में सोचता हूँ तो लगता है कि अगर रिया पढ़ी-लिखी न होती, मैं,रोशन और रोहित फोन पर उसे कोआर्डिनेट नहीं कर रहे होते. मेरे दोस्त की माता जी जो नर्स हैं अगर वो सम्पर्क में नहीं होतीं तो रिया की हिम्मत टूट जाती. शाम को जब उसे सिवनी के हॉस्पिटल ने ऑक्सीजन न होने की बात कही, तबसे लेकर सुबह तक का उसका वक़्त कितना कठिन रहा होगा. ये covid के केस से जुड़ा मेरा पहला अनुभव था. रिया जैसी परिस्थिति से न जाने कितने लोग गुज़रते होंगे. जहाँ कभी कोई सही राह दिखाने के लिए मौजूद होता होगा और कभी नहीं भी होता होगा. ऐसे मैं मरीज़ और उनके परिजनों पर क्या गुज़रती होगी. इस घटना के बाद रोशन ने मुझे कॉल किया. उसने बताया कि covid में उसका एक जूनियर जो जबलपुर में फ़िज़िओथेरेपी सेण्टर चलाता है वो वेंटीलेटर न मिलने की वजह से गुज़र गया. एक और अन्य मित्र के पिताजी भी गुज़र गए. उसने मुझसे पूछा कि दिल्ली में जो स्वास्थ्य सुविधायें वो यहाँ क्यूँ नहीं हैं? वहाँ और रायपुर में जैसे इनडोर स्टेडियम्स को अस्थायी रूप से अस्पताल में बदला गया है वैसा यहाँ क्यूँ नहीं होता? कहाँ हैं यहाँ के जनप्रतिनिधि? विधायक? सांसद? क्या कर रहे हैं ये मध्य प्रदेश की जनता के लिए? पुलिसकर्मी, स्वास्थ्यकर्मी कोरोना की चपेट में आकर काल के ग्रास में समा रहे हैं और ये? ये क्या कर रहे हैं? उसने ये कहकर मुझे ये सवाल पूछने के लिए प्रेरित किया कि हम अपने परिवार के साथ स्थिति ख़राब होने का इंतज़ार क्यूँ करें? क्या हम अपने शहर की स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने के लिए प्रयास नहीं कर सकते? क्या हम ज़िम्मेदारों से जवाब नहीं माँग सकते? इसलिए आप उन्हें कॉल ज़रूर करें. कॉल पर जवाब न मिले तो मेसेज करें, नम्बर बंद मिले तो वर्तमान नम्बर ढूँढें लेकिन आप उनसे सवाल जरुर पूछें.

(प्रस्तुत आलेख सम्पादक के साथ हुई सत्य घटना का विवरण है)

उफ़्फ़ कोलकाता – BINGE READING वाली हॉरर कॉमेडी

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नई वाली हिंदी के लेखक सत्य व्यास की पाँचवीं किताब और हॉरर कॉमेडी के तौर पर एक नया प्रयोग है उफ़्फ़ कोलकाता। इसे हिंदी भाषा की पहली हॉरर कॉमेडी भी कहा जा सकता है। यह उपन्यास एक होस्टल के इर्द-गिर्द घूमता है। जो कि कोलकाता शहर के बाहर स्थित एक विश्वविद्यालय से जुड़ा हुआ है। ये हॉस्टल कुछ लोगों की गलितयों की वजह से अभिशप्त हो जाता है। जिसके बाद एक आत्मा हॉस्टल के बच्चों को परेशान करने लगती है। ये बच्चे उस आत्मा से बचने के लिए जो कोशिशें करते हैं वो पाठकों को गुदगुदाती है। कहानी की पकड़ बेहद अच्छी है कि इसे आप एक बार में पढ़कर इसके अंत तक पहुँचना चाहेंगे। इस किताब के प्रकाशक eHindi Yugm हैं। इनकी ज़्यादातर किताबें बेहतरीन होती हैं। आप ये किताब flipkart और amazon पर ऑनलाइन ऑर्डर देकर मंगवा सकते हैं।

सोशल मीडिया में राजनीतिक नोक-झोंक

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मध्य प्रदेश कांग्रेस ने अपने वेरिफाईड twitter handle @INCMP से tweet किया है – “विधायक ख़रीदकर- —सरकार गिराना भी दुष्कर्म है।”
भाजपा मध्यप्रदेश के प्रदेश मंत्री राहुल कोठारी ने अपने वेरिफाईड twitter handle @RahulKothariBJP से tweet किया है – “हल्की चिड़चिडाहट और माहौल में तकलीफ दिख रही हो तो ये कोरोना के लक्षण नही हैं, कुछ लोगों को ये बीमारी 2014 से है।”
आरजेडी के राज्यसभा सदस्य और राष्ट्रीय प्रवक्ता मनोज कुमार झा ने अपने वेरिफाईड twitter handle @manojkjhadu से tweet किया है – “एक अत्यंत लघु जिज्ञासा है: दुनिया के और कितने देशों में #vaccine लगाने के पश्चात प्रदत्त ‘प्रमाण-पत्र’ पर वहां के प्रधानमंत्री/राष्ट्रपति/चांसलर की फोटो चिपकायी जाती है? या ये हमारे नए भारतवर्ष की अनुपम पहल है. जय हिन्द”

सीधी ज़िला अस्पताल में सेंट्रल पैथोलॉजी लैब शुरू

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सीधी, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ बी एल मिश्रा ने बताया कि जिला अस्पताल सीधी में सेन्ट्रल पैथालॉजी लैब की शुरुआत की गई है। यह लैब शासन स्तर से अनुबंधित संस्था द्वारा समस्त लैब उपकरण आदि की व्यवस्था उपलब्ध कराने पर शासन के निर्देशानुसार जिला अस्पताल के पैथोलॉजी विभाग में कार्यरत कर्मियों के द्वारा सिविल सर्जन के नियंत्रण में संचालित की जाएगी। इस लैब के माध्यम से समस्त पैथालॉजी जांचे जो कि मेडिकल कालेज में उपलब्ध कराई जाती थी अब जिले में निःशुल्क प्राप्त हो सकेगी। अब इस जांच केन्द्र में एनीमिया प्रोफाइल, लिपिड प्रोफाइल, थायराइड प्रोफाइल, गठिया मार्कर, आटो इम्यून मार्कर, कोविड प्रोफाइल, मायोकार्डियल इन्फ्रेक्शन मार्कर, क्वागुलेशन प्रोफाइल, हेमोग्लोबिनो पैथीस, एल.एफ.टी., के.एफ.टी. सीरम इलेक्ट्रोलाइटस जैसे बड़े और महत्वपूर्ण टेस्ट किए जाने संभव हो सकेंगे। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ मिश्रा ने कहा कि इस सुविधा के होने से चिकित्सा विशेषज्ञों द्वारा मरीजों का उचित इलाज किया जाना संभव हो जाएगा। जिले में जांच की सुविधा न होने के कारण अधिकांश मरीजों को जिले के बाहर रेफर करना चिकित्सकों की मजबूरी हो जाती थी। पैथालॉजी जांच सेवा से लोगों का समय और पैसे की बचत तो होगी ही समय पर इलाज शुरू किया जा सकेगा। जिले की सभी स्वास्थ्य संस्थाओं के मरीज अब जिला अस्पताल सेन्ट्रल पैथालॉजी लैब में चिकित्सक के परामर्श से जांच करा सकते हैं। अन्यत्र भटकने की आवश्यकता नहीं है।

धबोटी में प्रशासन ने रुकवाया बाल विवाह

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सीहोर, कोरोनाकाल में प्रशासन की समस्याएँ कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। एक ओर जहाँ प्रशासन लोगों को मास्क लगाने की प्रेरणा देने, सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने, टीकाकरण करने, क्वारंटाइन की व्यवस्था करने, सरकार के तमाम आदेशों का पालन करवाने और ऐसे ही विभिन्न कार्यों में तत्परता से लगा हुआ है वहीं दूसरी ओर अज्ञानता से भरे लोग प्रशासन का काम और कठिन बना रहे हैं। कोरोना से सम्बंधित दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करने की सूचनाओं के बीच में बाल विवाह जैसे अपराध की भी सूचनाएँ प्रशासन को मिल रही हैं। ऐसी ही एक सूचना चाइल्ड लाइन 1098 को आज प्राप्त हुई. जिसके फलस्वरूप प्रशासन की सक्रियता के चलते समय पर पहुंचकर नाबालिक का होने वाला विवाह रूकवाया गया। महिला एवं बाल विकास विभाग, पुलिस विभाग, चाइल्ड लाईन 1098 के संयुक्त दल द्वारा बाल विवाह होने की सूचना मिलने पर धबोटी गाँव पहुंच कर नाबालिग बालिका का विवाह रूकवाया गया तथा और माता—पिता तथा रिश्तेदारों को समझाईश देकर बाल विवाह के दुष्परिणामों के बारे में विस्तारपूर्वक बताया गया। चाइल्ड लाईन 1098 पर सूचना मिली कि ग्राम धबोटी तहसील जिला सीहोर में एक ही परिवार की दो नाबालिग बालिकाओं का विवाह करवाया जा रहा है। जिसकी सूचना चाइल्ड लाईन 1098 जिला समन्वय राजेन्द्र सिंह ने महिला एवं बाल विकास विभाग बाल संरक्षण अधिकारी अनिल पोलाया को दी. परियोजना अधिकारी, आंगनवाडी कार्यकर्ता, विशेष किशोर पुलिस इकाई, चाइल्ड लाईन टीम मेंबर मनीषा राठौर, स्वराज कीर द्वारा संयुक्त रूप से कार्यवाही करते हुऐ मौके पर पहुंच कर बालिका की जन्मतिथि की जाँच की गई। जिसमें दोनों बालिकाए नाबालिंग होने पर माता—पिता परिजन को समझाया गया, एवं बालिका का विवाह 18 वर्ष की होने पर करने हेतु बालिका के माता—पिता की सहमति ली गई।

THUNDER FORCE का फ़ोर्स पर्दे पर कमज़ोर, बस बच्चों के लिए ही मनोरंजक है फ़िल्म

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भारतीय दर्शक हॉलीवुड या फिर कहें इंग्लिश फ़िल्म्स से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद करते हैं. लेकिन हाल ही में नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई बेन फेल्कोने (BEN FALCONE) द्वारा लिखित एवं निर्देशित फ़िल्म थंडर फ़ोर्स (THUNDER FORCE) ने दर्शकों को काफ़ी निराश किया है. फ़िल्म की कहानी दो महिलाओं पर केंद्रित है जो बचपन के सबसे अच्छे दोस्त थे लेकिन अपने-अपने भविष्य और जीवनशैली के वैचारिक मतभेदों के चलते दोनों अलग हो जाते हैं. उनमें से एक, एमिली (Octavia Spencer) जो एक प्रतिभाशाली वैज्ञानिक के रूप में उभरती है, वो अपने माता-पिता के हत्यारे क्रीयंट्स को और आतंक मचाने से रोकना चाहती है. वहीं दूसरी, लिडा (Melissa McCarthy), एक सामान्य सा जीवन जीने वाली महिला है. जो ख़ुशी-ख़ुशी अपना जीवन अकेले बिता रही है. स्कूल रीयूनियन पार्टी की वजह से लिडा एमिली से दुबारा मिलती है और उसकी वजह से उसे कुछ सुपर पावर्स मिलती हैं. इन दोनों में बस एक समानता है कि दोनों एक अच्छे इंसान हैं. इसलिए बतौर सुपरवुमन इनकी जोड़ी बनती है. पर इतना सबकुछ एक आमदर्शक को बाँधे रखने के लिए काफ़ी नहीं होता है. इसलिए निर्देशक ने लिडा के किरदार में मसखरापन डालने की कोशिश की है. लेकिन ये मसखरापन दर्शकों में हास्य नहीं पैदा कर पाता. खलनायकों से लड़ने के लिए दोनों सुपर वुमन की दिखाई गयीं ताकतें बेहद बचकानी सी प्रतीत होती हैं. हालाँकि मुख्य किरदारों का अभिनय बढ़िया है लेकिन कहानी का उथलापन और किरदारों में फ़िज़ूल की नाटकीयता दर्शकों को मनोरंजन की मुख्यधारा तक नहीं ला पातीं. सुपर वुमन के तौर पर उन्होंने जो कॉस्टयूम पहना है वो आपको STAR WARS फ़िल्म के शुरुआती दौर की याद दिला सकता है. पूरी फ़िल्म को उलट-पलट के देखने पर लगता है जैसे NETFLIX वितरक के तौर पर इस फ़िल्म से इसलिए जुड़ गया क्यूंकि फ़िल्म में कुछ बड़े नाम हैं. हालाँकि इस फ़िल्म का ट्रेलर फ़िल्म से ज़्यादा प्रभावी मालूम होता है, जो कि एक ट्रेलर की ज़िम्मेदारी है. लेकिन फ़िल्म देखने पर आप ख़ुद से ये कहने लगते हैं कि फ़िल्म से ज़्यादा मनोरंजक तो ट्रेलर था. फ़िल्म को PG-13 सर्टिफिकेट दिया गया है इसलिए इस फ़िल्म को बच्चों के लिए ही छोड़ दें. आप OTT प्लेटफॉर्म्स पर और क्या देख सकते हैं ये हम आपको आगे सुझाव देते रहेंगे.

कोरोना संक्रमित मरीजों के निवास स्थलों और आस पास के क्षेत्रों में सेनिटाइज़ेशन का अभियान तेज़, सुहागी में कराया गया सेनिटाइजेशन

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जबलपुर। नगर निगम द्वारा प्रशासक बी. चन्द्रशेखर, कलेक्टर कर्मवीर शर्मा एवं निगमायुक्त संदीप जी.आर. के मार्गदर्शन में स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम के अधिकारियों कर्मचारियों ने कोरोना योद्धाओं के रूप में सामने आकर आज संभाग क्रमांक 15 सुहागी के अंतर्गत 7 वार्डो में कोरोना संक्रमण से प्रभावित 37 परिवारों के घरों में समझाईश एवं बचाव संबंधी स्टीकर्स लगाकर परिवार के सभी सदस्यों को लगातार जागरूक करने के साथ-साथ सेनेटाईज करने का कार्य किया। संभागीय अधिकारी संतोष अग्रवाल एवं मुख्य स्वच्छता निरीक्षक धर्मेन्द्र राज ने बताया कि आज संभाग क्रमांक 15 के अंतर्गत 7 वार्ड क्रमशः वार्ड क्रमांक 72 में 6, वार्ड क्रमांक 73 में 5, वार्ड क्रमांक 74 में 4, वार्ड क्रमांक 75 में 11, वार्ड क्रमांक 76 में 3, वार्ड क्रमांक 77 में 7, एवं वार्ड क्रमांक 78 में 1 कोरोना संक्रमण से प्रभावित मिले, इन स्थानों पर सेनेटाईजेशन तथा पोस्टर चस्पा किया गया। इसके साथ-साथ स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा आस-पास के घरों इलाकों में भी कोरोना संक्रमण से बचने और दूसरों को भी बचाने के लिए तैयार स्लोगन के माध्यम से व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया गया। निगमायुक्त संदीप जी.आर. ने बताया कि उनके द्वारा स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से दोनों समय शहर के सभी क्षेत्रों के साथ साथ कोविड-19 के संक्रमण से प्रभावित घरों में भी सेनेटाईजेशन का कार्य बड़े पैमाने पर करवाया जा रहा है, जिससे कोरोना संक्रमण का फैलाव न हो सके। इस बीमारी पर रोक लगाने तथा जड़ से समाप्त करने की दिशा में निगमायुक्त लगातार अपनी टीम को मोटीवेट कर रहे हैं और संसाधन उपलब्ध कराकर समाज हित में कार्य करने प्रेरित कर रहे हैं। उनसे प्रेरणा पाकर नगर निगम फ्रंट लाईन के सभी अधिकारी कर्मचारी कोविड-19 के नियमों का पालन करते हुए शहर के सभी नागरिकों की चिन्ता कर रहे हैं और उस दिशा में उनके द्वारा कार्य किये जा रहे हैं। निगम के इन कार्यों की समाजसेवियों एवं गणमान्यजनों ने सराहना की है और कहा है कि हर वैश्विक आपदा एवं महामारी के समय नगर निगम के लोग आगे आकर अपनी परवाह किये बिना जनहित में कार्य करते हैं।