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सोमवार, अक्टूबर 28, 2024
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दिवाली पूजा की टू डू लिस्ट में कहीं कुछ छूटा तो नहीं? यहाँ चेक करें

भारतीय परिवारों में दिवाली के दिन भी कुछ न कुछ काम चलते रहते हैं। ऐसे में भागमभाग के चलते पूजन के समय ज़रूरी चीजें छूट जाती हैं। जो बाद में मन में खटकती रहती हैं। आपके साथ ये स्थिति न हो इसलिए कुछ ज़रूरी तैयारियां और चीजें यहाँ दी जा रही हैं।

ज़रूरी है लिपाई-पुताई: वर्षा के कारण गंदगी होने के बाद संपूर्ण घर की सफाई और लिपाई-पुताई करना जरूरी होता है। मान्यता के अनुसार जहां ज्यादा साफ-सफाई और साफ-सुथरे लोग नजर आते हैं, वहीं लक्ष्मी निवास करती हैं। किसी कारणवश यदि लिपाई-पुताई न कर पाए हों तो पूजा के कमरे में पोछा लगाकर ही पूजन की तैयारी करें।

वंदनवार: आम या पीपल के नए कोमल पत्तों की माला को वंदनवार कहा जाता है। इसे अक्सर शुभ कार्यों के समय द्वार पर बांधा जाता है। दीपावली के दिन भी द्वार पर इसे बांधना चाहिए। वंदनवार इस बात का प्रतीक है कि देवगण इन पत्तों की भीनी-भीनी सुगंध से आकर्षित होकर घर में प्रवेश करते हैं।

रंगोली: रंगोली या मांडना को ‘चौंसठ कलाओं’ में स्थान प्राप्त है। उत्सव-पर्व तथा अनेकानेक मांगलिक अवसरों पर रंगोली से घर-आंगन को खूबसूरती के साथ अलंकृत किया जाता है। इससे घर-परिवार में मंगल रहता है।

दीपक: पारंपरिक दीपक मिट्टी का ही होता है। इसमें 5 तत्व हैं- मिट्टी, आकाश, जल, अग्नि और वायु। हिन्दू अनुष्ठान में पंच तत्वों की उपस्थिति अनिवार्य होती है।

चांदी का ठोस हाथी: विष्णु तथा लक्ष्‍मी को हाथी प्रिय रहा है इसीलिए घर में ठोस चांदी या सोने का हाथी रखना चाहिए। ठोस चांदी के हाथी के घर में रखे होने से शांति रहती है और यह राहू के किसी भी प्रकार के बुरे प्रभाव को होने से रोकता है।

कौड़ियां: पीली कौड़ी को देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। कुछ सफेद कौड़ियों को केसर या हल्दी के घोल में भिगोकर उसे लाल कपड़े में बांधकर घर में स्थित तिजोरी में रखें। ये कौड़ियां धनलक्ष्मी को आकर्षित करती हैं।

चांदी की गढ़वी: चांदी का एक छोटा-सा घड़ा, जिसमें 10-12 तांबे, चांदी, पीतल या कांसे के सिक्के रख सकते हैं, उसे गढ़वी कहते हैं। इसे घर की तिजोरी या किसी सुरक्षित स्थान पर रखने से धन और समृद्धि बढ़ती है। दीपावली पूजन में इसकी भी पूजा होती है।

मंगल कलश: एक कांस्य या ताम्र कलश में जल भरकर उसमें कुछ आम के पत्ते डालकर उसके मुख पर नारियल रखा होता है। कलश पर रोली, स्वस्तिक का चिन्ह बनाकर उसके गले पर मौली बांधी जाती है।

पूजा-आराधना:  दीपावली पूजा की शुरुआत धन्वंतरि पूजा से होती है। दूसरा दिन यम, कृष्ण और काली की पूजा होती है। तीसरे दिन लक्ष्मी माता के साथ गणेशजी की पूजा होती है। चौथे दिन गोवर्धन पूजा होती है और अंत में पांचवें दिन भाईदूज या यम द्वीतिया मनाई जाती है।

मजेदार पकवान: दीपावली के 5 दिनी उत्सव के दौरान पारंपरिक व्यंजन और मिठाई बनाई जाती है। हर प्रांत में अलग-अलग पकवान बनते हैं। उत्तर भारत में ज्यादातर गुझिये, शकरपारे, चटपटा पोहा चिवड़ा, चकली आदि बनाते हैं। इस दिन पूजन के पश्चात भगवान को घर में बने पकवानों या भोजन का भोग लगाकर ही परिवार सहित भोजन ग्रहण करें।

ज्योतिर्विद् वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

(अस्वीकरण: प्रस्तुत लेख में व्यक्त विचार लेखक के हैं जिनकी पुष्टि प्राथमिक मीडिया नहीं करता है, कृपया अपने बुद्धि-विवेक से इनका अनुसरण करें। लेखक से संपर्क करने के पश्चात उनके द्वारा सुझाए गए किसी भी उपाय या दी गई सलाह या अन्य किसी लेन-देन के लिए प्राथमिक मीडिया उत्तरदायी नहीं होगा।)

Chakreshhar Singh Surya
Chakreshhar Singh Suryahttps://www.prathmikmedia.com
चक्रेशहार सिंह सूर्या…! इतना लम्बा नाम!! अक्सर लोगों से ये प्रतिक्रया मिलती है। हालाँकि इन्टरनेट में ढूँढने पर भी ऐसे नाम का और कोई कॉम्बिनेशन नहीं मिलता। आर्ट्स से स्नातक करने के बाद पत्रकारिता से शुरुआत की उसके बाद 93.5 रेड एफ़एम में रेडियो जॉकी, 94.3 माय एफएम में कॉपीराइटर, टीवी और फिल्म्स में असिस्टेंट डायरेक्टर और डायलॉग राइटर के तौर पर काम किया। अब अलग-अलग माध्यमों के लिए फीचर फ़िल्म्स, ऑडियो-विज़ुअल एड, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म्स डायरेक्शन, स्टोरी, स्क्रिप्ट् राइटिंग, वॉईस ओवर का काम करते हैं। इन्हें लीक से हटकर काम और खबरें करना पसंद हैं। वर्तमान में प्राथमिक मीडिया साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र और न्यूज़ पोर्टल के संपादक हैं। इनकी फोटो बेशक पुरानी है लेकिन आज भी इतने ही खुशमिज़ाज।
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