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बुधवार, मार्च 12, 2025
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कुंभेश्वर महादेव: दुनिया की एकमात्र जिलहरी जिसमें हैं दो शिवलिंग

मध्य प्रदेश के जबलपुर जिले में नर्मदा तट पर स्थित कुंभेश्वर महादेव मंदिर अपनी अनूठी विशेषता के लिए विश्व प्रसिद्ध है। यह मंदिर लम्हेटी गाँव में स्थित है और इसकी विशेषता यह है कि यहाँ एक जिलहरी में दो शिवलिंग स्थापित हैं। ऐसा अनोखा दर्शन दुनिया में कहीं और देखने को नहीं मिलता। यह स्थान न केवल आध्यात्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि रामायण कालीन इतिहास से भी गहरा संबंध रखता है।

भगवान श्रीराम और लक्ष्मण द्वारा स्थापित शिवलिंग

मान्यता है कि लंका विजय के कुछ समय के बाद जब हनुमानजी भगवान शिव के दर्शन करने कैलाश पहुँचे तो नंदी ने उन्हें रोक दिया और बताया कि ब्रह्महत्या दोष के कारण वे दर्शन नहीं कर सकते। क्यूंकि रावण और उसकी सेना के वध में वे भी शामिल थे। रावण केवल एक राजा ही नहीं, बल्कि परम विद्वान ब्राह्मण और महा शिवभक्त भी था। इस दोष से मुक्त हुए बिना वे कैलाश में प्रवेश नहीं कर सकते। हनुमानजी को इस दोष से मुक्त होने के लिए नंदी ने उन्हें नर्मदा तट पर तपस्या करने की सलाह दी, क्योंकि नर्मदा को स्वयं भगवान शिव की कृपा प्राप्त थी। हनुमानजी ने तपस्या करके खुदको दोषमुक्त किया और जब वे आयोध्या पहुँचे तो उन्होंने यह वृतांत श्रीराम को सुनाया। इसके बाद श्री राम और लक्ष्मण नर्मदा तट पर आए और यहाँ शिवलिंग की स्थापना की

नर्मदापुराण में मिलता है उल्लेख

नर्मदापुराण के 84वें अध्याय में इस दिव्य स्थल का उल्लेख किया गया है। यहाँ कुंभेश्वर महादेव को ‘कपितीर्थ रामेश्वर लक्ष्मणेश्वर’ के नाम से वर्णित किया गया है, जिसमें श्री राम और लक्ष्मण के यहाँ शिवलिंग स्थापित करने की बाद कही गई है। यह नाम और घटना इस तथ्य को प्रमाणित करता है कि यह स्थान न केवल नर्मदा तट पर स्थित एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, बल्कि भगवान श्रीराम और लक्ष्मण की शिव भक्ति का भी प्रतीक है। कुंभेश्वर महादेव मंदिर की सबसे अनोखी बात यह है कि यहाँ एक ही जिलहरी में दो शिवलिंग विराजमान हैं। यह स्वरूप शिव की अद्वितीय और दुर्लभ उपस्थिति को दर्शाता है, जो संसार में और कहीं नहीं देखने को मिलता। शिवभक्तों के लिए यह स्थान एक दिव्य आस्था केंद्र बन चुका है, जहाँ आने से अद्भुत शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा का अनुभव होता है।

12 गुना पुण्य और परंपरागत सेवा

नर्मदा पुराण में यह भी बताया गया है कि कुंभेश्वर के तट पर स्नान करने से बारह गुना पुण्य अर्जित होता है। जो कि मोक्ष प्राप्ति के लिए सहायक है। कुंभेश्वर महादेव मंदिर की सेवा की परंपरा सिया राम बाबा के द्वारा की जाती थी, जो यहाँ वर्षों तक शिव की आराधना और देखभाल में समर्पित रहे। वर्तमान में, उनकी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए उनके पोते दयाराम इस पवित्र स्थान के साथ-साथ नर्मदा परिक्रमावासियों की सेवा कर रहे हैं। उनका परिवार पीढ़ी दर पीढ़ी इस मंदिर की देखभाल करता आ रहा है और श्रद्धालुओं की सेवा में लगा हुआ है।

क्यों आएँ कुंभेश्वर महादेव?

श्रीराम और लक्ष्मण द्वारा स्थापित शिवलिंग के दर्शन
दुनिया का एकमात्र मंदिर जहाँ एक जिलहरी में दो शिवलिंग हैं
नर्मदा स्नान से 12 गुणा पुण्य की प्राप्ति
प्राचीन शिवभक्ति का दिव्य स्थल
पीढ़ियों से चली आ रही परंपरागत सेवा का साक्षी स्थान

कैसे आ सकते हैं कुंभेश्वर महादेव?

जबलपुर से तिलवाराघाट पुल की ओर बढ़ने पर दाहिने हाथ में चरगवां के लिए सड़क है। जिस पर आगे बढ़ने पर नानाखेड़ा तिराहे पर न्यू भेड़ाघाट के लिए पक्की सड़क है। इस मार्ग पर आगे बढ़ने पर लम्हेटी नामक गाँव पड़ता है जहाँ यह पौराणिक महत्त्व का मंदिर स्थित है। इसके अलावा लम्हेटाघाट पर उतर कर नाव के ज़रिए यहाँ तक पहुँचा जा सकता है। कुंभेश्वर महादेव मंदिर केवल एक पवित्र मंदिर नहीं, बल्कि हिंदू धर्म, आस्था और आध्यात्मिकता का अद्भुत संगम है। भगवान शिव के इस दुर्लभ स्वरूप का दर्शन करना किसी वरदान से कम नहींजो एक बार यहाँ आता है, वह फिर बार-बार खिंचा चला आता है!

Chakreshhar Singh Surya
Chakreshhar Singh Suryahttps://www.prathmikmedia.com
चक्रेशहार सिंह सूर्या…! इतना लम्बा नाम!! अक्सर लोगों से ये प्रतिक्रया मिलती है। हालाँकि इन्टरनेट में ढूँढने पर भी ऐसे नाम का और कोई कॉम्बिनेशन नहीं मिलता। आर्ट्स से स्नातक करने के बाद पत्रकारिता से शुरुआत की उसके बाद 93.5 रेड एफ़एम में रेडियो जॉकी, 94.3 माय एफएम में कॉपीराइटर, टीवी और फिल्म्स में असिस्टेंट डायरेक्टर और डायलॉग राइटर के तौर पर काम किया। अब अलग-अलग माध्यमों के लिए फीचर फ़िल्म्स, ऑडियो-विज़ुअल एड, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म्स डायरेक्शन, स्टोरी, स्क्रिप्ट् राइटिंग, वॉईस ओवर का काम करते हैं। इन्हें लीक से हटकर काम और खबरें करना पसंद हैं। वर्तमान में प्राथमिक मीडिया साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र और न्यूज़ पोर्टल के संपादक हैं। इनकी फोटो बेशक पुरानी है लेकिन आज भी इतने ही खुशमिज़ाज।
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