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सोमवार, अक्टूबर 28, 2024

वक़्त

कुदरत के इशारों को पढ़ने में उसे बहुत दिलचस्पी रही है। इसलिए वो अपने आसपास हो रही घटनाओं को बेहद गंभीरता से देखता और उस घटना के पीछे छिपे संकेतों को पढ़ने की कोशिश करता। कुछ समय से उसे घड़ी में समय जोड़ी में दिख रहा है। जैसे वो दिन या रात में कभी भी अपनी कलाई पर बंधी डिजिटल घड़ी या लैपटॉप के स्क्रीन की ओर देखता उसे समय 02:02 या 13:13 इस तरह की जोड़ियों में दिखता। वो इस संकेत को समझने की चेष्टा करता। चूंकि वो स्वयं अकेला है यानि उसका कोई जोड़ीदार नहीं है इसलिए उसे लगता कि समय उसे जोड़ी बनाने के संकेत दे रहा है। हालांकि उसे वयस्कता के पायदान को पार किए 7 वर्ष का समय बीत चुका है। तो उसने डेटिंग एप्स पर अपनी प्रोफाइल बनाकर जोड़ीदार ढूँढने के इरादे स्पष्ट कर दिए। कुछ लोगों के bio में दिए गए विवरण को पढ़कर उसने उन्हें राइट स्वाइप भी कर दिया। चूंकि कुदरत का इशारा है इसलिए वो रोज़ इठकर डेटिंग एप्स देखता और बहुत गंभीरता से दूसरों की प्रोफाइल पढ़ता और राइट स्वाइप कर देता। ये सिलसिला एक महीने तक लगतार चला। लेकिन उसे अब तक किसी ने राइट स्वाइप नहीं किया था। डेटिंग एप्स के मुताबिक अगर आपने किसी को राइट स्वाइप किया है और दूसरा भी तुम्हें राइट स्वाइप कर दे, तब जाकर आप उसे और वो तुम्हें मेसेज भेज सकता है।

एक महीने की साधना किसी काम नहीं आई। उसने एप्स हटा दिए। हालांकि उसे अभी भी जोड़ी में ही समय दिखता है लेकिन वो वक़्त के इशारे को अनदेखा करके अपने काम में लग गया। एक दिन अपनी सोशल वर्किंग के दौरान ही उसे दूसरे ग्रुप की सोशल ऐक्टिविस्ट टकरायी। दोनों ने एक-दूसरे को मोबाईल नंबर भी दिए। उन दोनों की बात शुरू एक-दूसरे की मदद करने से हुई और कुछ दिनों बात दोनों एक-दूसरे में रुचि लेने लगे। संयोग से जो उसे मिली थी उसने भी अपने घड़ी में वक़्त के जोड़ी में दिखने की बात बतायी। दोनों एक-दूसरे से लगातार मिलने लगे। काफी वक़्त साथ बिताने लगे। एक दिन वो बोली कि उसे आईएएस की कोचिंग करने दिल्ली जाना है। ये सुनकर वो थोड़ा हताश हुआ लेकिन उसने खुशी-खुशी उसे जाने दिया। वहाँ जाकर वो व्यस्त हो गई। अब दोनों की बात सोशल मीडिया एप्स के ज़रिए ही होती। वो उधर पढ़ने में लगी रही और ये इधर सोशल वर्किंग में ही जुटा रहा। एक-दूसरे से बातचीत भी कम हो गई और धीरे-धीरे बंद भी। उसे जोड़ी में समय दिखना भी बंद हो गया। उसे गए तीन साल हो गए। वो दिल्ली से अब तक नहीं लौटी। हालांकि पिछले तीन सालों में उसकी दाढ़ी काफी बढ़ गई। जिसे बीच-बीच में वो ट्रिम करता रहता। रिज़ल्ट आया तो उसका और उसके बैच के कुछ लोगों का आईएएस में सिलेक्शन हो गया। ये उसे बधाई देने के लिए कॉल करता रहा लेकिन उसने फोन नहीं उठाया। इसलिए इसने बधाई का मेसेज छोड़ दिया। जिसका कोई जवाब कभी नहीं आया। वो वापिस शहर आई, इसका पता उसे शहर के एक अखबार में दिए इंटरव्यू से पता चला। वो उसे बधाई देने उसके घर गया लेकिन वो घर पर नहीं मिली। कुछ महीनों बाद उसे अपने एक दोस्त से पता चला कि उसने अपने ही एक बैचमेट से शादी कर ली, जिसका इस साल आईएएस में सिलेक्शन हुआ है। वो काफी दुखी हुआ। फिर सोचने लगा कि उसने शायद कुदरत के इशारे को गलत अर्थों में लिया। या फिर उसने उन्हें देखकर वही समझा जो वो समझना चाहता था। खैर, अब उसने डिजिटल की जगह डायल वाले घड़ी ले ली और लैपटॉप के टाइम दिखाने वाले हिस्से पर काला टेप लगा दिया। अब वो अपने आसपास घटने वाली चीजों को मन में ट्रांसलेट नहीं करता और न ही समझने की कोशिश करता। बहुत सालों बाद एक घोटाले के खुलने पर आईएएस दंपति के घर पर छापे पड़ने और गिरफ़्तारी की खबर आई तो न्यूज़ चैनल्स ने उस लड़के को घेर लिया। उसकी दाढ़ी काफी बढ़ चुकी है। अब वो ठीक से पहचान में भी नहीं आता है। न्यूज़ चैनल वालों ने जब उससे पूछा कि उसने दो बड़े अधिकारियों के भ्रष्टाचार के बारे में कैसे पता चला। तो वो बस मुस्कुराया और बोला, अगर कोई व्यक्ति छोटी बेईमानी करता है तो पता चल जाता है कि अगर भविष्य में उसे मौका तो मिला तो वो बड़ी बेईमानी जरूर करेगा। इन्टरव्यू देकर वो घर के अंदर गया और अलमारी में रखी अपनी डिजिटल घड़ी को लेकर अपनी कलाई में बांध लेता है। बरसों से लैपटॉप पर चिपके और कमजोर पड़ चुके काले टेप को भी वो हटा देता है। उसका इंटरव्यू न्यूज चैनल्स में प्रसारित होने के बाद उसके मोबाईल पर रात 01:01 पर एक मेसेज आता है, जिसमें लिखा है “सॉरी”।

Chakreshhar Singh Surya
Chakreshhar Singh Suryahttps://www.prathmikmedia.com
चक्रेशहार सिंह सूर्या…! इतना लम्बा नाम!! अक्सर लोगों से ये प्रतिक्रया मिलती है। हालाँकि इन्टरनेट में ढूँढने पर भी ऐसे नाम का और कोई कॉम्बिनेशन नहीं मिलता। आर्ट्स से स्नातक करने के बाद पत्रकारिता से शुरुआत की उसके बाद 93.5 रेड एफ़एम में रेडियो जॉकी, 94.3 माय एफएम में कॉपीराइटर, टीवी और फिल्म्स में असिस्टेंट डायरेक्टर और डायलॉग राइटर के तौर पर काम किया। अब अलग-अलग माध्यमों के लिए फीचर फ़िल्म्स, ऑडियो-विज़ुअल एड, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म्स डायरेक्शन, स्टोरी, स्क्रिप्ट् राइटिंग, वॉईस ओवर का काम करते हैं। इन्हें लीक से हटकर काम और खबरें करना पसंद हैं। वर्तमान में प्राथमिक मीडिया साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र और न्यूज़ पोर्टल के संपादक हैं। इनकी फोटो बेशक पुरानी है लेकिन आज भी इतने ही खुशमिज़ाज।
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1 टिप्पणी

  1. वाह, जिस तरह करना है जिंदगी में आपाधापी को सह लेने के बावजूद जिंदादिल बने रहना भी जीवट सभ्यता की ही निशानी है।

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