आज इस साल का अंतिम सूर्य ग्रहण होगा। ये दुर्लभ संयोग है कि दिवाली के अगले दिन ही सूर्यग्रहण हो रहा है। करीब 27 साल पहले यह खगोलीय घटना 24 अक्टूबर 1995 को दिवाली के दूसरे दिन हुई थी। मध्यप्रदेश में ग्रहण शाम करीब साढ़े 4 बजे शुरू होकर शाम करीब साढ़े 5 बजे समाप्त होगा। प्रदेश में ग्रहण शुरुआत में तो नजर आएगा लेकिन सूर्यास्त होने के कारण पूरा नजारा नहीं दिखेगा। प्रदेश भर में सूर्य ग्रहण 30% से ज्यादा हो जाएगा। अगर इस बार यह घटना देखने से चूक जाते हैं तो फिर 5 साल बाद 2027 अगला सूर्यग्रहण देखने मिलेगा।
विशेषज्ञों के मुताबिक ये आंशिक सूर्यग्रहण भारत में सूर्यास्त के पहले दोपहर में शुरू होगा। इसे अधिकांश जगह से देखा जा सकेगा। हालांकि अंडमान-निकोबार द्वीप समूह और उत्तर-पूर्व भारत के कुछ हिस्से में नहीं दिखाई देगा।
मध्यप्रदेश में शाम करीब 4 बजकर 42 मिनट से शाम 5 बजकर 38 मिनट तक ग्रहण नजर आएगा। इस दौरान चांद प्रदेश भर में सूर्य के 32% से ज्यादा हिस्से को ढँक लेगा। सूर्यास्त की वजह से ग्रहण का अंत प्रदेश भर में कहीं भी दिखाई नहीं देगा। भारत में उत्तर-पश्चिमी हिस्सों में अधिकतम ग्रहण के समय चंद्रमा लगभग सूर्य के 40 से 50% के बीच होगा।
दिल्ली-मुंबई में अधिकतम ग्रहण के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य ग्रहण का प्रतिशत क्रमशः करीब 44% व 24% होगा। यहां ग्रहण की अवधि क्रमश: 1 घंटे 13 मिनट और 1 घंटे 19 मिनट होगी। चेन्नई और कोलकाता में ग्रहण की अवधि क्रमश: 31 मिनट और 12 मिनट की होगी। ग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी हिस्सों, पश्चिमी एशिया, उत्तर अटलांटिक महासागर और उत्तर हिंद महासागर के क्षेत्रों में भी दिखाई देगा।
इस कारण होता है: अमावस्या को सूर्य ग्रहण तब घटित होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आ जाता है। यानि जब ये तीनों एक सीध में आ जाते हैं। आंशिक सूर्य ग्रहण तब घटित होता है जब चन्द्र चक्रिका सूर्य चक्रिका को आंशिक रूप से ही ढंक पाती है।
संभलकर देखें ग्रहण: सूर्य ग्रहण को थोड़ी देर के लिए भी नंगी आंखों से नहीं देखना चाहिए। जब चंद्रमा सूर्य के अधिकतम हिस्सों को ढंक दे तब भी इसे नंगी आंखों से न देखें क्योंकि यह आंखों को स्थाई नुकसान पहुंचा सकता है। इससे अंधापन हो सकता है। सूर्य ग्रहण को देखने की सबसे सही तकनीक है एल्युमिनी माइसर, काले पॉलिमर 14 नंबर शेड के लाईदार कांच का उपयोग कर और टेलीस्कोप के माध्यम से सफेद पटल पर सूर्य की छाया को देख सकते हैं।
ज्योतिर्विद वास्तु दैवज्ञ पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री के मुताबिक यह ग्रहण 25 अक्टूबर 2022 को कार्तिक अमावस्या मंगलवार के दिन दिखाई देगा। यह सूर्यग्रहण भूलोक पर दोपहर 02 बजकर 29 मिंट पर शुरू होगा और शाम 06 बजकर 32 पर समाप्त होगा। पूर्वी भारत को छोड़कर यह ग्रहण भारत में सवर्त्र दिखाई देगा। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार यह ग्रहण स्वाति नक्षत्र, प्रीति योग और तुला राशि में घटित होगा।
ज्योतिष में इस सूर्य ग्रहण को समझे: भारतीय 25 अक्टूबर 2022 ई. का ग्रहण इस प्रकार रहेगा।
ग्रहण (प्रारंभ) शाम 04 बजकर 17 मिनट से
परमग्रास (मध्य) शाम 05 बजकर 23 मिनट पर
ग्रहण समाप्त शाम 05 बजे 44 मिनट पर
ग्रहण का सूतक काल 25 अक्टूबर 2022 सुबह सूर्योदय से पहले सुबह 4 बजकर 30 मिनट पर शुरू होगा।
ग्रहण का फल: देश में चोरी से तथा अग्निकांड का भय होगा। साधुजनों, व्यापारी वर्ग को कष्ट एवं हानि होगी, मंत्री मंडल तालमेल का अभाव होगा। कुछ फसलों के मूल्यों में वृद्धि होगी। सीमाओं पर अशांति होगी। भारत के अलावा यूरोप, मध्य पूर्वी तथा उत्तरी अफ्रीका, पश्चिमी एशिया तथा उतरी हिन्द महासागर में दिखाई देगा।
ग्रहण का राशियों प्रभाव
मेष:- पति/स्त्री को कष्ट होगा।
वृष:- कष्ट, रोग एवं गुप्त चिंता होगी।
मिथुन :- कार्यों में देरी होगी एवं खर्च अधिक होगा।
कर्क :- कार्यों में सफलता प्राप्त होगी।
सिंह :- उन्नति होगी एवं धन लाभ होगा।
कन्या :- धन हानि होगी।
तुला :- दुर्घटना, चोटभय एवं चिन्ता।
वृश्चिक :- धन की हानि होगी।
धनु :- सफलता प्राप्त होगी एवं उन्नति होगी।
मकर :- चिन्ता ,कष्ट एवं रोग भय।
कुंभ :- संतान संबंधी गुप्त चिंता होगी एवं कार्यों में देरी होगी।
मीन :- शत्रु भय एवं साधारण लाभ होगा।
ग्रहण और सूतककाल के समय ये न करें: ग्रहण के सूतक और ग्रहणकाल के दौरान कुछ कार्यों को न करे, ग्रहण काल में सबसे ज्यादा सावधानी गर्भवती महिलाओं को रखनी चाहिए, इस दौरान वे सबसे ज्यादा संवेदनशील होती हैं और गर्भस्थ शिशु पर ग्रहण काल का असर विपरीत पड़ सकता है। आइए जानें कि गर्भवती महिलाएं क्या सावधानी बरतें, गर्भवती महिलाएं ग्रहण काल में एक नारियल अपने पास रखें। इससे गर्भवती महिला पर वायुमंडल से निकलने वाली नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव नहीं पड़ेगा, गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए, शरीर पर तेल ना लगाय,बा ल न बांधे, दांत साफ ना करें, घर से बाहर न निकलें ग्रहण के समय भोजन करना, भोजन पकाना, सोना नहीं चाहिए, सब्जी काटना, सीना-पिरोना आदि से बचना चाहिए, उन पर सूर्य की छाया बिलकुल न पड़े इस बात का ध्यान रखें, नाखुन ना काटे, बाल ना काटे, भोजन न करें, सहवास न करें, झूठ न बोलें, निद्रा का त्याग करें, मल,मूत्र न करे, चोरी न करें, गाय-भैंस का दूध नहीं निकालना चाहिए, किसी भी प्रकार के पाप कर्म से दूर रहें और ग्रहण काल में अपने इष्टदेव, शिव या गायत्री मंत्र का जाप करते रहें। ग्रहण के प्रभाव के चलते सूतक काल से ही मंदिरों के कपाट बंद रहेंगे। ग्रहण के समय भोजन करने वाला मनुष्य जितने अन्न के दाने खाता है उतने वर्षों तक अरुंतुद नरक में वास करता है। घर में रखे हुए पानी में कुशा डाल देनी चाहिए, इससे पानी एवं दूषित नहीं होता है, कुशा न हो तो तुलसी का पौधा शास्त्रों के अनुसार पवित्र माना गया है। वैज्ञानिक रूप से भी यह सक्षम है, इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट आसपास मौजूद दूषित कणों को मार देते हैं। इसलिए खाद्य पदार्थ में डालने से उस भोजन पर ग्रहण का असर नहीं होता।
ग्रहण के समय पति और पत्नी को शारीरिक संबंध नहीं बनाना चाहिए। इस दौरान यदि गर्भ ठहर गया तो संतान विकलांग या मानसिक रूप से विक्षिप्त तक हो सकती है। ग्रहण काल में स्नान, दान, जप, तप, पूजा पाठ, मन्त्र, तीर्थ स्नान, ध्यान, हवनादि करना बहुत लाभकारी रहता है। सूर्य के शुभ प्रभाव प्राप्त करने हेतु सूर्य के वैदिक मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जप करना चाहिए। शनि की साढ़े साती या ढईया का प्रभाव होने पर अधिक से अधिक ” ॐ शं शनिचराये नम:” शनि मंत्र का जाप करें, हनुमान जी के मन्त्र एवं हनुमान चालीसा का भी पाठ करें। ग्रहण के नकारात्मक प्रभाव से घर को बचाने के लिए ग्रहण से एक दिन पहले घर के मुख्य द्वार पर सिंदूर में घी मिलाकर ॐ या स्वास्तिक का चिह्न बनाये ।
घर को ग्रहण की नकारात्मकता से बचाने के उपाय: बाजार में गमलो को रंगने के लिए रंगोली बनाने के लिए गेरू मिलता है। ग्रहण से पहले घर के मुख्य द्वार के पास , घर की छत पर एवं घर के आँगन में गेरु के टुकड़े बिखेर दें, और ग्रहण के बाद इसे झाड़ू से बटोर कर घर के बाहर फेंक दे। इस उपाय से घर पर ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है। सूर्यग्रहण मोक्ष होने पर सोलह प्रकार के दान, जैसे अन्न, जल, वस्त्र, फल, दूध, मीठा, स्वर्ण, सूर्य से संबंधित लाल वस्तुएं जैसे तांबा,लाल कपड़ा,राजमाश,गुड़, लाल चंदन,लाल फूल अर्क की लकड़ी, आदि का दान जो भी संभव हो सभी मनुष्यों को अवश्य ही करना चाहिए।
ग्रहण के समय राशि अनुसार करें दान, मिलेगा लाभ:
मेष राशि के लोगों को गुड़, मूंगफली, तिल,तांबा की वस्तु, दही का दान देना चाहिए।
वृषभ राशि के लोगों के लिए सफेद कपड़े,चांदी और तिल का दान करना उपयुक्त रहेगा।
मिथुन राशि के लोग मूंग दाल, चावल,पीला वस्त्र, गुड़ और कंबल का दान करें।
कर्क राशि के लोगों के लिए चांदी, चावल, सफेद ऊन, तिल और सफेद वस्त्र का दान देना उचित है।
सिंह राशि के लोगों को तांबा,गुड़, गेंहू,गौमाता का घी, सोने और मोती दान करने चाहिए।
कन्या राशि के लोगों को चावल, हरे मूंग या हरे कपड़े का दान देना चाहिए।
तुला राशि के जातकों को हीरे, चीनी या कंबल,गुड़, सात तरह के अनाज का देना चाहिए।
वृश्चिक राशि के लोगों को मूंगा, लाल कपड़ा,लाल वस्त्र, दही और तिल दान करना चाहिए।
धनु राशि के जातकों को वस्त्र, चावल, तिल,पीला वस्त्र और गुड़ का दान करना चाहिए।
मकर राशि के लोगों को गुड़,कंबल, और तिल दान करने चाहिए।
कुंभ राशि के जातकों के लिए काला कपड़ा, काली उड़द, खिचड़ी,कंबल, घी और तिल का दान चाहिए।
मीन राशि के लोगों को रेशमी कपड़ा, चने की दाल, चावल,चना दाल और तिल दान देने चाहिए।
पूर्ण चंद्र ग्रहण नवंबर में: अगला ग्रहण पूर्ण चंद्र ग्रहण है जो भारत से दिखाई देगा। यह 8 नवंबर 2022, मंगलवार को होगा। यह चंद्रोदय के समय भारत के सभी स्थानों से दिखाई देगा।
अगला सूर्य ग्रहण 2027 में: भारत में अगला सूर्य ग्रहण करीब 5 साल बाद यानी 2 अगस्त 2027 में नजर आएगा। वह पूर्ण सूर्य ग्रहण होगा जो देश के सभी हिस्सों से आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में नजर आएगा।
(अस्वीकरण: ज्योतिष से संबंधित सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। प्राथमिक मीडिया किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।)