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मंगलवार, अक्टूबर 29, 2024
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बरसों से जलता पत्रकारिता का “दीपक” बुझ गया

रविवार की इस रात और नवंबर की इस सर्द रात में जब आप अपने घरों के खिड़की दरवाजे बंद करके बैठे हैं। उसी वक्त जबलपुर की पत्रकारिता के मील के पत्थर देशबंधु अख़बार के बरामदे में ये सर्द हवायें एक सर्द समाचार लेकर आती हैं। जो हर उस इंसान की रीढ़ कंपकपा देंगी जो शहर के बरसों पुराने इस अख़बार की दहलीज चढ़ चुका हो। ये ग़मगीन हवाएं बताती हैं कि जिस देशबंधु की पत्रकारिता के ज़रिये सुरजन परिवार ने शहर में पत्रकारिता के नये आयाम स्थापित किये। आज उस पत्रकारिता को जारी रखने वाला “दीपक” बुझ गया। देशबंधु ने आज अपने वर्तमान संपादक दीपक सुरजन को हमेशा के लिए खो दिया।

सौजन्य – फ़ेसबुक

उन्हें एक महीने पहले दिल का दौरा पड़ा था। उनका इलाज जबलपुर में चल रहा था लेकिन हालत ठीक न होने की वजह से उन्हें बेहतर इलाज के लिए नागपुर में भर्ती किया गया। जहाँ उन्होंने रविवार की रात 10 बजे के लगभग अंतिम सांस ली। वे 63 वर्ष के थे। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पत्रकारिता का बड़ा अनुभव लिया। पत्रकारिता जगत में ये ऐसा नाम है जिसे किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। उनकी लेखनी ने समसामयिक घटनाक्रमों, राजनीतिक उथल-पुथल और सकारात्मक खबरों को अखबार पर सटीकता से उतारा है। उनका जाना न सिर्फ देशबंधु की बल्कि पत्रकारिता की भी अपूर्णीय क्षति है।

सियासत से आमने-सामने – सोशल मीडिया में अपनी प्रोफाइल पर न सिर्फ अपना कॉलम “खबरों के आसपास” शेयर करते थे बल्कि किसी खूबसूरत जगह घूमते वक़्त वहाँ की जानकारी फोटो और विडिओ के साथ पोस्ट करते थे। उनकी किताब ‘सियासत से आमने-सामने’ में उन्होंने राजनीति की बिसात पर सियासी शतरंज पर चालें-चलने वालों सहित देश-प्रदेश एवं स्थानीय, न्यायविदों, खिलाड़ी जैसे करीब अट्ठारह अलग-अलग व्यक्तियों से लिए गए साक्षात्कारों को समावेश किया है। जिनमें साक्षात्कारों, वार्तालापों में हुई ऐसी बातों को उल्लेखित किया गया है जो आज भी प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से प्रासंगिक हैं। उनकी ये किताब आपको पत्रकारिता के उस दौर में भी लेकर जाती है, जब मीडिया और राजनीति में सम्मानजनक रिश्ते हुआ करते थे और लोग पत्रकारिता को लोकतन्त्र का चौथा स्तम्भ समझते थे।

आज तीन बजे अंतिम यात्रा – उनका पार्थिव देह नागपुर से जबलपुर सुबह लाया जाएगा। उनकी अंतिम यात्रा उनके निज निवास दत्त एंक्लेव, माता गुजरी हास्टल के सामने, से दोपहर बाद 3 बजे ग्वारीघाट मुक्तिधाम के लिए प्रस्थान करेगी। उनके निधन की खबर से प्रदेश के पत्रकार जगत में शोक व्याप्त है, प्राथमिक मीडिया की ओर से हम उनके श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।

Chakreshhar Singh Surya
Chakreshhar Singh Suryahttps://www.prathmikmedia.com
चक्रेशहार सिंह सूर्या…! इतना लम्बा नाम!! अक्सर लोगों से ये प्रतिक्रया मिलती है। हालाँकि इन्टरनेट में ढूँढने पर भी ऐसे नाम का और कोई कॉम्बिनेशन नहीं मिलता। आर्ट्स से स्नातक करने के बाद पत्रकारिता से शुरुआत की उसके बाद 93.5 रेड एफ़एम में रेडियो जॉकी, 94.3 माय एफएम में कॉपीराइटर, टीवी और फिल्म्स में असिस्टेंट डायरेक्टर और डायलॉग राइटर के तौर पर काम किया। अब अलग-अलग माध्यमों के लिए फीचर फ़िल्म्स, ऑडियो-विज़ुअल एड, डॉक्यूमेंट्री, शॉर्ट फिल्म्स डायरेक्शन, स्टोरी, स्क्रिप्ट् राइटिंग, वॉईस ओवर का काम करते हैं। इन्हें लीक से हटकर काम और खबरें करना पसंद हैं। वर्तमान में प्राथमिक मीडिया साप्ताहिक हिन्दी समाचार पत्र और न्यूज़ पोर्टल के संपादक हैं। इनकी फोटो बेशक पुरानी है लेकिन आज भी इतने ही खुशमिज़ाज।
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