आईपीसी की धारा 143, 323, 341 और एस सी एस टी एक्ट की धारा 3(1)(द)(ध), 3(2)(va) के तहत मामला दर्ज
बाड़मेर, पांधी की निवाण ग्राम पंचायत की सामान्य सीट से अनुसूचित जाति की महिला सजनी मेघवाल ने चुनाव जीता. उस चुनाव में उनके देवर सिदाराम हेगड़े की अहम् भूमिका रही. लेकिन चुनाव जीतने के बाद से ही उनके देवर और प्रतिनिधि को पंचायत के कुछ लोग परेशान करने लगे. कभी उन्हें जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया जाता तो कभी मारपीट करने की कोशिश भी की जाती. आपसी बीचबचाव और समझाईश से कुछ समय तक बात भी बनी लेकिन कुछ दिनों पहले सरपंच प्रतिनिधि पर पंचायत के उन्हीं लोगों ने जानलेवा हमला कर दिया. जिसकी वजह से वो अपना मामला लेकर थाना सेडवा पहुँचे और थाना प्रभारी को लिखित रूप से शिकायत की. जिसके मुताबिक़ सिदाराम पर 15 मई को सुबह 11 बजे सुनियोजित तरीके से लाठियों के साथ रमजान पुत्र तैय्यब खां, जाहगीर पुत्र हलीम खां, अकबर पुत्र जीयण खां, तुराब अली पुत्र ताजमोहम्मद, जाकब पुत्र लबाना, खालीद पुत्र ग़ुलाम अली, बाबू पुत्र नसीर खां द्वारा जानलेवा हमला किया गया. लेकिन स्थानीय लोगों ने उन्हें बचा लिया. सरपंच प्रतिनिधि की लिखित शिकायत पर कार्यवाही करते हुए पुलिस द्वारा रमजान, जहागीर, अकबर, तुराब अली, जाकब, खालिद और बाबू खान पर आईपीसी की धारा 143, 323, 341 और एस सी एस टी एक्ट की धारा 3(1)(द)(ध), 3(2)(va) के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है.
अन्य महिला सरपंच के संवैधानिक अधिकारों के हनन का मामला भी आया था सामने
पिछले महीने अप्रैल में बाड़मेर ज़िला की गडरारोड़ पंचायत समिति के कुबड़िया ग्राम पंचायत में भी एक मामला प्रकाश में आया, जिसमें अनुसूचित जाति की महिला सरपंच सुशीला के संवैधानिक अधिकारों का हनन करने के साथ-साथ उन्हें अपमानित करने की बात सामने आयी. अपने साथ हो रहे दुर्व्यवहार चलते सरपंच ने 7 अप्रैल को बाड़मेर कलेक्टर ज्ञापन भी सौंपा. जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें बैठकों की जानकरी दिए बिना उनकी पंचायत की सामान्य जाति की महिला उपसरपंच ने साधारण बैठक की अध्यक्षता करके एक ही दिन में चार-चार प्रस्ताव पारित किये हैं. ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है कि बैठकों की जानकारी उन्हें न दी गयी हो. सरपंच ने अपने ज्ञापन में लिखते हुए आरोप लगाया है ये सब वहाँ के विधायक आमीन खान के इशारे पर और बीडीओ की मिलीभगत से किया जा रहा है. अनुसूचित जाति की सरपंच सुशीला ने कहा है कि यदि उनके संवैधानिक अधिकारों के हनन को नहीं रोका गया तो वो जौहर भी कर सकती हैं.
अनुसूचित जाति से जुड़े अपराध के मामले में राजस्थान दूसरे नंबर पर
NCRB द्वारा 2019 में प्रकाशित क्राइम इन इंडिया में दिए गए आँकड़ों के मुताबिक़ 2019 में अनुसूचित जाति पर सबसे ज्यादा अपराध उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार और मध्य प्रदेश में दर्ज किये गए. 2019 में अनुसूचित जाति के खिलाफ करीब 45935 अपराध हुए जो कि 2018 की तुलना में 7.3 फीसदी ज्यादा है. उत्तर प्रदेश में 11829 जबकि राजस्थान में अनुसूचित जाति पर अत्याचार के 6,794 मामले दर्ज किए गए.