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गुरूवार, नवम्बर 21, 2024
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फ़र्जी दस्तावेज़ों पर बाइक फायनेंस करवाते हुए रंगे हाथों पकड़ी गई महिला

सिहोरा, रविवार दोपहर सिहोरा थाना अंतर्गत निजी बाइक शोरूम में एक महिला फर्जी दस्तावेज़ों के साथ बाइक फायनेंस कराने पहुंची। जहाँ श्रीराम फायनेंस के एक कर्मचारी ने सूझबूझ दिखाते हुए उसे पकड़ा और सिहोरा पुलिस को सौंप दिया। रविवार की शाम से महिला को सिहोरा थाने में ऊर्जा डेस्क की महिला पुलिसकर्मियों की निगरानी में ही रखा गया लेकिन उसके बाद भी सिहोरा पुलिस आज दोपहर तक महिला का असली नाम भी पता नहीं लगा सकी। सिहोरा थाना प्रभारी गिरीश धुर्वे के मुताबिक पुलिस अभी आरोपों की जांच करने में जुटी है इसलिए महिला को सोमवार की दोपहर जाने दिया गया।

कैसे पकड़ी गई महिला – महिला अपने पैन कार्ड, आधार कार्ड, बैंक चेक बुक और पास बुक समेत निजी बाइक शोरूम पहुंची। थाने में दी गई लिखित शिकायत के मुताबिक उसके साथ प्रशांत कुशवाहा नामक एक लड़का भी था जिसने दो और बाइक पहले से फायनेंस करवा रखी हैं। फायनेंस कंपनी के कर्मचारी को दस्तावेज़ों की जांच के दौरान आधार कार्ड नंबर से समग्र आई डी न मिलने पर शक हुआ। जिससे उसे दस्तावेज़ फर्जी होने की शंका हुई। इसके बाद उसने फायनेंस प्रक्रिया रोक दी और फिर उसके द्वारा पूछताछ करने पर आरोपी का नाम उसे सुनीता बैरागी पता चला जबकि उसने दस्तावेज़ खुशबू कोल के नाम से जमा किए हैं। इसके बाद सिहोरा पुलिस को घटना की जानकारी दी गई।

पहले मदन महल में और अब सिहोरा में कांड – शिकायतकर्ता के मुताबिक ये दोनों पहले भी एक साथ मिलकर मदनमहल थानांतर्गत एक अन्य फायनेंस कंपनी को भी चूना लगा चुके हैं। उन्होंने यहाँ एक कंपनी के दुपहिया वाहन को भी फर्जी दस्तावेज़ों के ज़रिए फायनेंस करवाया है। वहीं सिहोरा में प्रशांत कुशवाहा ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर दो बाइक अलग-अलग लोगों के नाम पर फायनेंस करवा रखी हैं। सोचने वाली बात ये है कि इनके हौसले इतने बुलंद कैसे हैं कि एक मामले में नाम आने के बाद दूसरे फर्जीवाड़े को भी इतनी आसानी और निडरता से अंजाम देने चले थे!

आपराधिक वारदातों में ऐसी ही गाड़ियों का होता है इस्तेमाल – अभी तक फायनेंस हुई गाडियाँ नकली लोगों और नकली पते के नाम पर दर्ज हैं। ऐसी गाडियों का इस्तेमाल अक्सर बड़े-बड़े अपराधों जैसे लूट और हत्या से लेकर आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में होता है। देश के अलग-अलग राज्यों में फर्जी आधार कार्ड और पैन कार्ड बनाने वाले गिरोह, उनके ज़रिए सिम लेने वाले गिरोह और गाड़ी फायनेंस करवाने वाले गिरोहों को पकड़ा जा चुका है। लेकिन यहाँ इस मामले को पुलिस बेहद गंभीरता से नहीं ले रही है। यहाँ तक कि कंपनी के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि फायनेंस ऑफिस के दफ्तर में कुछ लोग आरोपियों की ओर से “सेटलमेंट” करवाने के लिए चक्कर लगाते रहे। साथ ही कुछ लोगों ने अनैतिक दबाव बनाकर मामले को रफा-दफा करवाने की भी भरपूर कोशिश की है।

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1 टिप्पणी

  1. ऐसे कांड में फाइनेंसर का अहम रोल होता है अपराधियों से फाइनेंसर की मिलीभगत होती है कमाई का आधा हिस्सा फाइनेंसर को भी मिलता है

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